कल दिनांक 14 जून 2018 को PAB की बैठक संपन्न हो गई है। जिसमें यूपी के शिक्षा व्यवस्था के लिए बजट का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन शिक्षामित्रों के लखनऊ में हुए धरने के बाद मुख्यमंत्री से वार्ता में शिक्षामित्रों को आश्वासन मिला था कि उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी और यह वृद्धि शायद जुलाई से लागू हो जाए। लेकिन यह सब संभावनाएं शिक्षामित्रों द्वारा लगाई गई हैं सरकार का कोई भी स्पष्ट निर्देश मानदेय बढ़ोतरी के लिए नहीं किया गया है। सरकार बार-बार यही कहती है कि हम जल्द ही आपके मानदेय वृद्धि में विचार कर रहे हैं ।
PAB की इस बैठक से शिक्षामित्रों को बड़ी उम्मीदें थी क्योंकि यह बैठक हर साल की तरह मार्च में ही आयोजित कर ली जाती थी लेकिन किसी कारणवश इस बैठक को जून में तय किया गया जिस कारण शिक्षामित्रों का मानदेय समय से नहीं मिल पाया। शिक्षामित्रों का माह मार्च का मानदेय पुराने बजट से सरकार ने जारी कर दिया है लेकिन अप्रैल और मई का मानदेय PAB की बैठक के बाद मिलना ही संभव हो सकेगा । इसलिए इस बैठक का शिक्षामित्रों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था और साथ ही साथ इस बैठक का महत्व इसलिए भी था क्योंकि इसी बैठक में सरकार शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रख सकती है । इस बैठक में क्या निर्णय लिया गया है यह जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि शिक्षामित्र मानदेय संबंधी सभी प्रस्ताव पास हो गए हैं लेकिन वास्तविकता क्या है यह तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
मानदेय वृद्धि की संभावना कितनी है ?
मानदेय वृद्धि की संभावना इसलिए लगाई जा सके क्योंकि शिक्षामित्रों का धरना और सरकार का बार-बार यही कहना कि हम जल्द ही आपके मानदेय व्यक्ति के बारे में सोच रहे हैं कहीं ना कहीं मानते व्यक्ति को सकारात्मक रूप देता है लेकिन मुख्यमंत्री जी द्वारा कितनी आश्वासन वास्तविक हुए हैं हम सभी जानते हैं
मानदेय वृद्धि ' न ' होने की कितनी संभावना ?
हम इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि शिक्षामित्रों का मानदेय वृद्धि होना अभी संभव नहीं हो सकता है इसके कारण मैं कई नजर आते हैं
1) शिक्षामित्र संगठन का संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने शिक्षामित्रों से मानदेय वृद्धि के संबंध में सीधे संवाद नहीं किया है।
2) अगर वास्तव में ही शिक्षा मित्रों की मानदेय वृद्धि हो रही होती तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तरह मानदेय वृद्धि की सूचना अखबारों में और मीडिया में दिखाई जाती या प्रशासन के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी द्वारा बयान दिया जाता लेकिन शिक्षामित्र मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है एक बंद कमरे में हुई वार्ता में मुख्यमंत्री जी ने मानदेय बढ़ोतरी को कितनी गंभीरता से लिया है यह तो वे शिक्षामित्र पदाधिकारी स्वयं ही जानते होंगे।
शिक्षा मित्र मानदेय वृद्धि की सही जानकारी रहस्मयी तरीके से छुपी हुई हैं। अभी कुछ भी कहना है स्पष्ट नहीं है यह सिर्फ आशंकाएं लगाई जा रही है।