उत्तर प्रदेश में कार्य कर रहे शिक्षामित्रों का समायोजन सपा सरकार में हुआ था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समायोजन निरस्त कर दिया गया। इस समायोजन निरस्त होने से पूर्व शिक्षामित्र 2 से 3 वर्ष तक शिक्षक के पद पर कार्य कर रहे थे। अर्थात पूर्णरूप से शिक्षक बन शिक्षक के समान वेतन प्राप्त कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के 27 जुलाई 2017 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को 1 अगस्त से सभी समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल पद शिक्षामित्र पद पर वापिस भेज दिया गया। और अब वर्तमान में शिक्षामित्रों को 10000 हजार रू0 मासिक 11 माह के लिए मिलते हैं।
उक्त प्रकरण में कई जनपदों में शिक्षामित्रों को उनके शिक्षक पद पर रहते हुए सातवें वेतन के एरिअर का भुगतान नहीं किया गया। यह एरिअर भगुतान दो किस्तों में किया जाना था किन्तु कई जनपद अभी तक प्रथम किस्त का भी भुगतान नहीं किये।
इस प्रकरण में आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने राज्य परियोजना निदेशक जी को पत्र लिख कर अवगत कराया। जो 13 जनवरी 2020 को जारी हुआ।
लेकिन इस पत्र पर कोई भी कार्यवाही नहीं होने की वजह से पुनः राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा ने बेसिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इससे अवगत कराया।
इसके बाद शिक्षा निदेशक (बेसिक), उत्तर प्रदेश से समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी हुआ है कि वो अपने अपने जनपद में शिक्षामित्रों को किये जाने वाले 7वें वेतनमान के एरिअर संबंधित जानकारी से उन्हें अवगत करायें।
कितने शिक्षामित्र समायोजित हुए ? कितना उनका एरिअर बना ? और कितना अभी देने के लिए शेष है ? कि जानकारी मांगी गई है।
उक्त दोनों पत्रों से से स्पष्ट है कि जितेन्द्र शाही के पत्र के कारण जिन शिक्षामित्रों को उनका एरिअर नहीं मिल पाया है, उन्हें जल्द ही अब एरिअर का भुगतान कर दिया जायेगा।
दोनों पत्रों की प्रति उपलब्ध है।
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