शैक्षणिक कार्यो के लिए समय सारिणी और कार्य निर्धारण के संबंध में सरकार द्वारा आज जारी शासनादेश पूरी तरह से अव्यवहारिक और बाल मनोविज्ञान और शिक्षको के मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखी करते हुए जारी किया गया है ,शासनादेश में जारी अधिकांश बिंदु ऐसे है जो अधिकारियों और नेताओं द्वारा शिक्षकों और ग्रामीण इलाकों के बच्चों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हुए लिए गए है ,इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर तो विपरीत प्रभाव पड़ेगा ही साथ ही शिक्षको पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ,शासनादेश में वर्णित निम्न बिंदु पूरी तरह से अव्यवहारिक है
1--15 जून से लेकर 30 जून तक अमूमन ज्येष्ठ का अंतिम माह या असाढ़ का आरम्भ होता है और मौसम चक्र के अनुसार उत्तर भारत मे बारिश सावन में ही शुरू होती है इस नाते 15 जून से 30 जून के मध्य भीषण गर्मी पड़ती है ,साथ ही इस दौरान गांवों में बच्चे बाग में रहते है क्योंकि ये आम के पकने का समय होता है इस नाते इस अवधि में स्कूल खोले जाने का कोई औचित्य नही है ये उतना ही अव्यवहारिक है जितना अप्रैल से सत्र आरम्भ किया जाना ,अभी विभाग और समाज अप्रैल सत्र के दुष्परिणाम झेल ही रहा है ,इसी तरह से इसके भी दुष्परिणाम सामने आएंगे
2-- प्राथमिक स्तर पर अरसे से बच्चो की पढ़ाई के घण्टे कम करने की बात हो रही है ,एनसीईआरटी तो समय कम के साथ ही 2 इंटरवल की भी बात करता है जिससे बच्चो पर बहुत स्ट्रेस न पड़े साथ ही नई शिक्षा नीति कम उम्र में बच्चे के प्रवेश की भी बात करते हैं ऐसे में शिक्षण के घण्टे बढ़ाया जाना और 2 बजे तक करना अव्यवहारिक है ,वैसे भी मार्च और अक्टूबर ऐसे महीने होते है जब मौसम ऐसा नही होता कि बच्चो को 2 बजे तक स्कूल में रोका जाए ,इसी तरह के अव्यवहारिक निर्णयों के रहते बच्चो के मध्यवकाश से स्कूल छोड़ने की घटनाएं सामने आती है ,ये नियम बनाते समय व्यवहारिक पक्ष को ध्यान में नही रखा गया है
3-- आदेश के मुताबिक कोई शिक्षक बैंक ,प्रधान के हस्ताक्षर आदि काम स्कूल अवधि में नही कराएगा ,बहुत से स्कूल में महिला टीचर्स हेड या इंचार्ज हैं ,लेकिन अवकाश दिनों में या विद्यलय अवधि के बाद उनका आना जाना उनके जीवन और भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ हो सकता है
4-- इसी तरह विद्यलय की रंगाई पुताई और मरमत का काम भी अवकाश में कराया जाना तर्कसंगत नही है इस तरह की घटनाएं पूरे विभाग में अनगिनत आराधना कांड को जन्म देंगी इसकी ज़िमेदारी कौन लेगा ,
5-- अमूमन टीचर विद्यलय आरम्भ से पूर्व ही स्कूल पहुंचता ही है ,और इस बात को सुनिश्चित ही करता है कि बच्चे घर पहुंच जाए तब वो स्कूल छोड़े लेकिन विद्यालय अवधि के बाद आधा घण्टा रुकने की बाध्यता समझ से परे है
6-- बेहतर होता विभाग ये भी बता देता की 3:30 के बाद कौन बैंक खुली मिलेगी और रंगाई पुताई के लिए कौन लेबर मिलेगा और क्या ये काम रात में होगा
यदि विभाग इस तरह का आदेश निर्गत करता है तो ये भी सुनिश्चित किया जाए
1-- रंगाई पुताई कार्य विभाग स्वयं कराए
2-- प्रत्येक माह सभी स्कूल को खण्ड शिक्षा अधिकारी एसएमसी और एमडीएम अकॉउंट का स्टेटमेंट उपलब्ध कराए
3-- टीचर्स के बिल पावना यानि फॉर्म 9 व्हाटसअप पर स्वीकार किये जायें ,
4-- यदि काम के घण्टे बढ़ाये जा रहे है तो 5 दिन का सप्ताह निर्धारित हो ,
5-- विद्यालय में पर्याप्त टीचर और चतुर्थ श्रेणी कर्मी की तैनाती हो साथ ही एआरपी या अन्य किसी भी रूप में कही भी कार्य कर रहे शिक्षको को वापस स्कूल भेजा जाए
प्राथमिक शिक्षक संघ सीतापुर इस नवीन शासनादेश की घोर निंदा करता है ,हमने प्रदेश नेतृत्व को अपनी आपत्तियों से अवगत करा दिया है उनके निर्देश पर आंदोलन की नीति तय की जाएगी ,हम एक बार पुनः शिक्षक और छात्र विरोधी इस आदेश की कड़ी निंदा करते है ,और इसके रहते शिक्षिकाओं के साथ होने वाली किसी भी अप्रिय घटना को लेकर चिंतित है
सुरेंद्र गुप्त अध्यक्ष
आराध्य शुक्ल मंत्री
प्राथमिक शिक्षक संघ सीतापुर
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