आज का विचारधारा
जैसा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री बहन मायावती जी ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम - 2009 को प्रदेश में प्रभावी करने के लिए 27 जुलाई - 2011 को हरी झंडी दी थीं तभी सुनिश्चित हो गया था कि अब परिषदीय विद्यालयों के पढ़ा रहे शिक्षामित्र भी प्रशिक्षित होगें और तत्कालीन सरकार को ऐसा करना पड़ा,
फिलहाल इस समय भी योगी सरकार नये सत्र - 2021-22 से नयी शिक्षा नीति - 2020 को प्रभावी करने का पूरा मन बना लिया है और यदि उक्त नीति का कार्यान्वयन होगा तो प्रदेश के सभी पीड़ित शिक्षामित्रो का भी नियमितीकरण होना सुनिश्चित है, क्योंकि उक्त पालिसी के क्रियान्वयन के बाद कोई भी परिषदीय विद्यालयों में संविदा पर शिक्षण कार्य नहीं कर पायेगा,
यदि प्रदेश सरकार नियमितीकरण नहीं करती हैं तो उसका वहन राज्य सरकारों को करना होगा, केंद्र सरकार इसके लिए किसी भी प्रकार का अनुदान नहीं देगी, उक्त स्थिति में स्पष्ट है कि प्रदेश में उक्त नीति का कार्यान्वयन होते ही यूपी के पीड़ित शिक्षामित्रो का भी भविष्य सुरक्षित होना, एक दिन सुनिश्चित है, देर हो सकती है लेकिन अंधेर होने की कोई भी गुंजाइश सम्भव नहीं है,
राज्य सरकार अपने राजनीतिक द्वेष भाव से देरी कर सकती है लेकिन हमेशा के लिए टाल नहीं सकती है, जोकि सम्भव है भी नहीं?
उक्त जानकारी के साथ
जय महाकाल
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