*सेवा में*
*श्री मान शिक्षा मंत्री* *महोदय*
*एम एच आर डी*
*नई दिल्ली*
*विषय: नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट 2019 में सुधार के संबंध में*
*महोदय*
*नई शिक्षा नीति का हम स्वागत करते है इससे जरूर अच्छे शिक्षक और विद्यार्थी समाज को मिलेंगे।लेकिन*
*इस ड्राफ्ट में कुछ प्रमुख कमियां है:*
*1-टेट पास शिक्षामित्रों को बिना कोई अन्य परीक्षा लिए नियमित किया जाए*
*2- प्राथमिक स्तर की शिक्षा हेतु नियुक्त किये जाने वाले शिक्षकों के लिए होने वाली कोई भी नियुक्ति संबंधित परीक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विज्ञान वर्ग , कला वर्ग ,वाणिज्य वर्ग या अन्य किसी भी वर्ग के अभ्यर्थी के लिए अलग अलग न होकर एक समान हो क्योंकि प्राथमिक स्तर पर छात्रों को सभी विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है इस स्थिति में शिक्षक का किसी विशेष वर्ग जैसे कि विज्ञान वर्ग का या कला वर्ग का होना गलत है इसलिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति करते समय यह विशेष ध्यान दिया जाए कि अभ्यर्थी के विषय वर्ग पर ध्यान न देते हुए परीक्षा का पाठ्यक्रम इस प्रकार तैयार किया जाए कि अभ्यर्थी किसी भी विषय वर्ग चाहे विज्ञान वर्ग का हो या कला वर्ग का हो ।अभ्यर्थी नियुक्ति हेतु करायी उस परीक्षा हेतु सक्षम हो तथा उस परीक्षा को देते समय इस बात का आभास उस अभ्यर्थी को न हो कि वह किसी एक विषय के शिक्षण कार्य हेतु नियुक्त किया जा रहा है अपितु उसे परीक्षा से ऐसा आभास होना चाहिए कि वह प्राथमिक स्तर के लिए नियुक्त किया जा रहा है क्योंकि की प्राथमिक स्तर पर विषय वर्ग नही होते हैं इसलिए NAT द्वारा प्राथमिक स्तर पर डिग्री या विषय या विषय वर्ग से संबंधित कोई भी परीक्षा न करायी जाए एवम प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हेतु जो भी परीक्षा करवाई जाए वह किसी विषयी वर्ग से संबंधित न होकर सभी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए एक समान हो* ।
*3-वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा हेतु प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति हेतु डी. एल.एड (बी.टी.सी.) प्रशिक्षण में किसी भी प्रशिक्षु के विषय वर्ग का ध्यान न रखते हुए सभी विषय वर्ग के प्रशिक्षुओं को समान प्रशिक्षण दिया जाता है और यह सही भी है क्योंकि प्राथमिक स्तर पर शिक्षक को सभी विषयों को पढ़ना होता है इसलिये प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम भी ऐसा है कि वह विज्ञान वर्ग एवम कला वर्ग में अंतर नही करता है इसलिए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी विषय वर्ग को लेकर कोई अंतर नही किया जाना चाहिए अभ्यथी चाहे किसी भी विषय वर्ग का हो विज्ञान का हो या कला का हो उससे नियुक्ति हेतु किसी भी प्रकार की विषय वर्ग संबंधित परीक्षा न ली जाए अपितु ऐसी परीक्षा के द्वारा नियुक्ति दी जाए जो प्रत्येक वर्ग के लिए एक समान हो क्योंकि प्राथमिक स्तर पर सभी शिक्षको को प्रत्येक विषय पढाना पड़ता है।*
*4- शिक्षक की नियुक्ति हेतु नियुक्ति प्रक्रिया सरल होनी चहिये जिससे कि शिक्षकों की कमी को पूर्ण किया जा सके इसके लिए निजी प्रशिक्षण संस्थाओ जैसेकि बी.टी.सी. , डी.एल .एड , बी.एड की निजी संस्थाओ पर रोक लगनी चाहिए एवम इन्हें बंद करके शिक्षकों के प्रशिक्षण का उत्तरदायित पूर्व की भांति ही केवल सरकारी संस्थाओं को देदेना चाहिए जिससे कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षक एवम बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके। पूर्व की भांति ही ऐसी नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ होनी चाहिए कि सेवा पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी को उसके प्रशिक्षण प्राप्त करने के वर्ष के हिसाब से वरीयता देते हुए अनिवार्य नियुक्ति प्रदान की जाए।*
*5- कुछ समय के लिए डी. एल.एड (बी.टी.सी.) ,बी.एड. प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूर्ण रूप से बंद करके वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके प्रशिक्षित बेरोजगारों को अनिवार्य नियुक्ति प्रदान की जाए जिससे कि बेरोजगारी की समस्या खत्म हो सके।*
**6- शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया इस प्रकार हो कि:-*
*
*i-प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु ली जाने वाली परीक्षा किसी विषय वर्ग से संबंधित न होकर सभी विषय वर्ग के अभ्यर्थीयो हेतु एक समान हो परीक्षा का सिलेबस भी प्रशिक्षण से संबंधित हो एवम प्राथमिक स्तर का हो। नियुक्ति हेतु अभ्यर्थी पहले ही सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न परीक्षाएं उत्तीर्ण करके ( अकादमिक परीक्षा ग्रेजुएशन तक फिर प्रशिक्षण हेतु प्रवेश परीक्षा/मेरिट फिर अध्यापक पात्रता परीक्षा फिर सुपर टेट जो कि उपरोक्त सभी परीक्षाएं सरकार द्वारा ही तैयार गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम के अनुसार ही ली जाती है)* *अभ्यर्थी अपनी गुणवत्ता पहले ही दिख चुका होता है इसलिए अभ्यर्थियो से इतनी परीक्षाएं न ली जाये कि परीक्षा देते देते अभ्यर्थी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाए और सरकार जब तक अभ्यर्थी को शिक्षक स्वीकार करे तब तक वह पढाने लायक ही न बचे। इसलिए शिक्षक की नियुक्ति हेतु प्रक्रिया सरल बनाई जाए।**
*ii-माध्यमिक शिक्षा के अध्यापकों की नियुक्ति हेतु विषय वर्ग से सम्बंधित परीक्षा का आयोजन कराया जा सकता है परंतु नियुक्ति परीक्षा का लेवल माध्यमिक स्तर (कक्षा10 )का ही हो।*
*iii-उच्च शिक्षा(कक्षा 10 से ऊपर ) हेतु शिक्षकों की नियुक्ति हेतु परीक्षा पूर्ण रूप से विषय आधारित ही हो उनसे अन्य विषयों से सम्बंधित प्रश्न न पूछे जाए।*
*7-सभी स्तर पर शिक्षकों को विशेष सुविधाएं दी जाएं जिससे उन्हें समाज मे गौरवान्वित महसूस हो। शिक्षकों को vip की श्रेणी का दर्जा दिया जाना चाहिए।*
*8- इंटरव्यू पूरी तरह से पहले ही खत्म किया जा चुका है तो इंटरव्यू पूरी तरह से खत्म होना चाहिए क्योंकि यह भ्रष्टाचार को चरम सीमा तक बढ़ाने का कार्य करेगा।*
*9- बीआरसी पर होने वाला डेमो अधिकारियों के लिए सिर्फ भ्रष्टाचार का एक जरिया बन जाएगा।*
*10- तीन साल का प्रोबेशन टाइम नहीं होना चाहिए उसको एक साल का ही रहना चाहिए।*
*11- NTA द्वारा किसी भी एग्जाम की क्या आवश्यकता है जबकि शिक्षक बनने हेतु उत्तसुक अभ्यर्थी पहले ही कई चरण की परीक्षा पास करके अपनी योग्यता साबित कर चुका होता है जैसे कि - पहले वह प्रशिक्षण हेतु एंट्रेंस एग्जाम पास करता है फिर वह प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न चरणों में प्रशिक्षण के एग्जाम पास करता है फिर वह टेट पास करता है फिर वह सुपर टेट पास करता है फिर फाइनल मेरिट बनती है तब जाकर एक अभ्यर्थी शिक्षक बनता है और यह उपरोक्त सभी परीक्षाओ का लेवल सरकार द्वारा ही तैयार किया जाता है अब ऐसी स्थिति में जबकि एक अभ्यर्थी सरकार द्वारा ही बनाये गए परीक्षाओ को उत्तीर्ण करता है तो फिर उसे NAT जैसे किसी भी टेस्ट की क्या आवश्यक्ता है अतः NAT जैसा कोई भी टेस्ट नही होना चाहिए|*
*12- टीईटी के बाद सुपर टीईटी में 14 विषयों को मिलाकर एग्जाम लिया जा रहा है जिससे NTA परीक्षा की कोई भी आवश्यकता ही नहीं है*
*13- टीईटी को पास करने बार बार पास करने की वैधता खत्म होनी चाहिए। एवम 10% EWS आरक्षण नियुक्ति संबंधित प्रत्येक परीक्षा में लागू होना चाहिए।*
*14- यूजीसी नेट की तरह सीटेट और टीईटी दोनों आजीवन मान्य हो।*
*15- जब टीईटी पास कर ले उसके बाद भी लिखित पेपर क्यों*
*16-वर्तमान एवम भविष्य में भी शिक्षको की नियुक्ति संबंधी कोर्ट में चल रहे सभी केसों को प्राथमिकता प्रदान करते हुए सुलझाया जाए*
**17- आठवीं कक्षा तक बच्चे को अनुतीर्ण करने की नीति लागू होनी चाहिए इससे बच्चे अनुतीर्ण होने की वजह से स्कूल आएंगे और सीखेंगे। बच्चों का स्कूल तक न आना ही सबसे बड़ी समस्या है।*
*18- बच्चे को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए अभिभावक को पूर्णतया उत्तरदायी बनाया जाए। जो अभिभावक अपने पाल्य को स्कूल नही भेजता है उसके लिए दंड का प्रावधान होना चाहिए।*
*19-एक सर्व सुविधा सम्पन्न एक बड़ा विद्यालय बनाया जाए तथा बच्चों को आने जाने के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।*
*20- प्रत्येक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक नियुक्त किया जाए क्योंकि बिना नेतृत्व के कोई व्यवस्था नही चल सकती।*
*21- विद्यालयों का supervision किया जाए inspection नही।* **
*22- मिड डे मील को स्कूल परिसर से हटाया जाए और स्थानीय व्यक्ति से न बनवाया जाए क्योंकि किसी व्यक्ति विशेष का बना खाना बच्चे नही खाना चाहते। इसलिए ये बच्चों के स्कूल न आने का कारण बन रहा है।*
*23- विद्यालयों को माँग और आवश्यकता के अनुसार धन उपलब्ध कराया जाए।*
*24- विद्यालयों के विकास से संबंधित कोई भी नीति बनाते समय उन्ही विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों से पूछा जाये क्योकि विद्यालय में क्या सुधार होने चाहिए उससे बेहतर कोई नही बता सकता। आजतक कोई शिक्षा नीति कारगर साबित नही हुई क्योकि ए. सी. में बैठकर पसीने पर निबंध लिखे जाते रहे है।*
*18- अंतिम सुझाव ये है कि ये शिक्षा नीति भी शैक्षिक सुधार की नब्ज नही पकड़ सकी। एवम शिक्षको की नियुक्ति प्रक्रिया जटिल की गई है जिससे भविष्य में शिक्षकों की कमी होना स्वाभाविक है ।इसलिए अगली शिक्षा नीति आना निश्चित है।*
*महोदय जो विचार मैंने आपके समक्ष प्रस्तुत किए है कृपया उन बिंदुओं पर विचार हो।*
*धन्यवाद*
* ये मैसेज सभी बुद्धिजीवी अपनी ईमेल से nep.edu@nic.in पर भेजे ओर आपत्ति दर्ज कराए।*
---------#######-###########--------;####
सेवा में,
श्रीमान HRD मंत्री जी
भारत सरकार, नई दिल्ली
बिषय--नई शिक्षा नीति पेज न0 123 पैरा p5.1.8 में संसोधन के संबंध में।
महोदय, अवगत हो कि आपके HRD मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति के विषय मे सुझाव मांगे गए हैं। जिसमें पेज न0 123 पैरा p5.1.8 में कहा गया है कि 2022 के बाद के बाद पैरा टीचर ( शिक्षा कर्मी, शिक्षा मित्र, आदि ) शिक्षण कार्य नही करेंगे।
महोदय से अनुरोध है कि उपरोक्त पेज न0 123 पैरा p5.1.8 स्पष्ट दिशा निर्देश यह भी दिया जाय जो लोग पैरा टीचर 2 वर्ष btc, या ncte द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण मानक को पूरा कर ले उन्हें राज्य सरकारें ट्रेंड वेतनमान पर समायोजित करें। ताकि पैरा टीचरों की शेष उम्र बिना तनावपूर्ण शिक्षण कार्य कर सके। धन्यवाद।।
भवदीय
नाम----------
उ0 प्र0
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nep.edu@nic.in. 👉send
*श्री मान शिक्षा मंत्री* *महोदय*
*एम एच आर डी*
*नई दिल्ली*
*विषय: नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट 2019 में सुधार के संबंध में*
*महोदय*
*नई शिक्षा नीति का हम स्वागत करते है इससे जरूर अच्छे शिक्षक और विद्यार्थी समाज को मिलेंगे।लेकिन*
*इस ड्राफ्ट में कुछ प्रमुख कमियां है:*
*1-टेट पास शिक्षामित्रों को बिना कोई अन्य परीक्षा लिए नियमित किया जाए*
*2- प्राथमिक स्तर की शिक्षा हेतु नियुक्त किये जाने वाले शिक्षकों के लिए होने वाली कोई भी नियुक्ति संबंधित परीक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विज्ञान वर्ग , कला वर्ग ,वाणिज्य वर्ग या अन्य किसी भी वर्ग के अभ्यर्थी के लिए अलग अलग न होकर एक समान हो क्योंकि प्राथमिक स्तर पर छात्रों को सभी विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है इस स्थिति में शिक्षक का किसी विशेष वर्ग जैसे कि विज्ञान वर्ग का या कला वर्ग का होना गलत है इसलिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति करते समय यह विशेष ध्यान दिया जाए कि अभ्यर्थी के विषय वर्ग पर ध्यान न देते हुए परीक्षा का पाठ्यक्रम इस प्रकार तैयार किया जाए कि अभ्यर्थी किसी भी विषय वर्ग चाहे विज्ञान वर्ग का हो या कला वर्ग का हो ।अभ्यर्थी नियुक्ति हेतु करायी उस परीक्षा हेतु सक्षम हो तथा उस परीक्षा को देते समय इस बात का आभास उस अभ्यर्थी को न हो कि वह किसी एक विषय के शिक्षण कार्य हेतु नियुक्त किया जा रहा है अपितु उसे परीक्षा से ऐसा आभास होना चाहिए कि वह प्राथमिक स्तर के लिए नियुक्त किया जा रहा है क्योंकि की प्राथमिक स्तर पर विषय वर्ग नही होते हैं इसलिए NAT द्वारा प्राथमिक स्तर पर डिग्री या विषय या विषय वर्ग से संबंधित कोई भी परीक्षा न करायी जाए एवम प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हेतु जो भी परीक्षा करवाई जाए वह किसी विषयी वर्ग से संबंधित न होकर सभी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए एक समान हो* ।
*3-वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा हेतु प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति हेतु डी. एल.एड (बी.टी.सी.) प्रशिक्षण में किसी भी प्रशिक्षु के विषय वर्ग का ध्यान न रखते हुए सभी विषय वर्ग के प्रशिक्षुओं को समान प्रशिक्षण दिया जाता है और यह सही भी है क्योंकि प्राथमिक स्तर पर शिक्षक को सभी विषयों को पढ़ना होता है इसलिये प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम भी ऐसा है कि वह विज्ञान वर्ग एवम कला वर्ग में अंतर नही करता है इसलिए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी विषय वर्ग को लेकर कोई अंतर नही किया जाना चाहिए अभ्यथी चाहे किसी भी विषय वर्ग का हो विज्ञान का हो या कला का हो उससे नियुक्ति हेतु किसी भी प्रकार की विषय वर्ग संबंधित परीक्षा न ली जाए अपितु ऐसी परीक्षा के द्वारा नियुक्ति दी जाए जो प्रत्येक वर्ग के लिए एक समान हो क्योंकि प्राथमिक स्तर पर सभी शिक्षको को प्रत्येक विषय पढाना पड़ता है।*
*4- शिक्षक की नियुक्ति हेतु नियुक्ति प्रक्रिया सरल होनी चहिये जिससे कि शिक्षकों की कमी को पूर्ण किया जा सके इसके लिए निजी प्रशिक्षण संस्थाओ जैसेकि बी.टी.सी. , डी.एल .एड , बी.एड की निजी संस्थाओ पर रोक लगनी चाहिए एवम इन्हें बंद करके शिक्षकों के प्रशिक्षण का उत्तरदायित पूर्व की भांति ही केवल सरकारी संस्थाओं को देदेना चाहिए जिससे कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षक एवम बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके। पूर्व की भांति ही ऐसी नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ होनी चाहिए कि सेवा पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी को उसके प्रशिक्षण प्राप्त करने के वर्ष के हिसाब से वरीयता देते हुए अनिवार्य नियुक्ति प्रदान की जाए।*
*5- कुछ समय के लिए डी. एल.एड (बी.टी.सी.) ,बी.एड. प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूर्ण रूप से बंद करके वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके प्रशिक्षित बेरोजगारों को अनिवार्य नियुक्ति प्रदान की जाए जिससे कि बेरोजगारी की समस्या खत्म हो सके।*
**6- शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया इस प्रकार हो कि:-*
*
*i-प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु ली जाने वाली परीक्षा किसी विषय वर्ग से संबंधित न होकर सभी विषय वर्ग के अभ्यर्थीयो हेतु एक समान हो परीक्षा का सिलेबस भी प्रशिक्षण से संबंधित हो एवम प्राथमिक स्तर का हो। नियुक्ति हेतु अभ्यर्थी पहले ही सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न परीक्षाएं उत्तीर्ण करके ( अकादमिक परीक्षा ग्रेजुएशन तक फिर प्रशिक्षण हेतु प्रवेश परीक्षा/मेरिट फिर अध्यापक पात्रता परीक्षा फिर सुपर टेट जो कि उपरोक्त सभी परीक्षाएं सरकार द्वारा ही तैयार गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम के अनुसार ही ली जाती है)* *अभ्यर्थी अपनी गुणवत्ता पहले ही दिख चुका होता है इसलिए अभ्यर्थियो से इतनी परीक्षाएं न ली जाये कि परीक्षा देते देते अभ्यर्थी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाए और सरकार जब तक अभ्यर्थी को शिक्षक स्वीकार करे तब तक वह पढाने लायक ही न बचे। इसलिए शिक्षक की नियुक्ति हेतु प्रक्रिया सरल बनाई जाए।**
*ii-माध्यमिक शिक्षा के अध्यापकों की नियुक्ति हेतु विषय वर्ग से सम्बंधित परीक्षा का आयोजन कराया जा सकता है परंतु नियुक्ति परीक्षा का लेवल माध्यमिक स्तर (कक्षा10 )का ही हो।*
*iii-उच्च शिक्षा(कक्षा 10 से ऊपर ) हेतु शिक्षकों की नियुक्ति हेतु परीक्षा पूर्ण रूप से विषय आधारित ही हो उनसे अन्य विषयों से सम्बंधित प्रश्न न पूछे जाए।*
*7-सभी स्तर पर शिक्षकों को विशेष सुविधाएं दी जाएं जिससे उन्हें समाज मे गौरवान्वित महसूस हो। शिक्षकों को vip की श्रेणी का दर्जा दिया जाना चाहिए।*
*8- इंटरव्यू पूरी तरह से पहले ही खत्म किया जा चुका है तो इंटरव्यू पूरी तरह से खत्म होना चाहिए क्योंकि यह भ्रष्टाचार को चरम सीमा तक बढ़ाने का कार्य करेगा।*
*9- बीआरसी पर होने वाला डेमो अधिकारियों के लिए सिर्फ भ्रष्टाचार का एक जरिया बन जाएगा।*
*10- तीन साल का प्रोबेशन टाइम नहीं होना चाहिए उसको एक साल का ही रहना चाहिए।*
*11- NTA द्वारा किसी भी एग्जाम की क्या आवश्यकता है जबकि शिक्षक बनने हेतु उत्तसुक अभ्यर्थी पहले ही कई चरण की परीक्षा पास करके अपनी योग्यता साबित कर चुका होता है जैसे कि - पहले वह प्रशिक्षण हेतु एंट्रेंस एग्जाम पास करता है फिर वह प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न चरणों में प्रशिक्षण के एग्जाम पास करता है फिर वह टेट पास करता है फिर वह सुपर टेट पास करता है फिर फाइनल मेरिट बनती है तब जाकर एक अभ्यर्थी शिक्षक बनता है और यह उपरोक्त सभी परीक्षाओ का लेवल सरकार द्वारा ही तैयार किया जाता है अब ऐसी स्थिति में जबकि एक अभ्यर्थी सरकार द्वारा ही बनाये गए परीक्षाओ को उत्तीर्ण करता है तो फिर उसे NAT जैसे किसी भी टेस्ट की क्या आवश्यक्ता है अतः NAT जैसा कोई भी टेस्ट नही होना चाहिए|*
*12- टीईटी के बाद सुपर टीईटी में 14 विषयों को मिलाकर एग्जाम लिया जा रहा है जिससे NTA परीक्षा की कोई भी आवश्यकता ही नहीं है*
*13- टीईटी को पास करने बार बार पास करने की वैधता खत्म होनी चाहिए। एवम 10% EWS आरक्षण नियुक्ति संबंधित प्रत्येक परीक्षा में लागू होना चाहिए।*
*14- यूजीसी नेट की तरह सीटेट और टीईटी दोनों आजीवन मान्य हो।*
*15- जब टीईटी पास कर ले उसके बाद भी लिखित पेपर क्यों*
*16-वर्तमान एवम भविष्य में भी शिक्षको की नियुक्ति संबंधी कोर्ट में चल रहे सभी केसों को प्राथमिकता प्रदान करते हुए सुलझाया जाए*
**17- आठवीं कक्षा तक बच्चे को अनुतीर्ण करने की नीति लागू होनी चाहिए इससे बच्चे अनुतीर्ण होने की वजह से स्कूल आएंगे और सीखेंगे। बच्चों का स्कूल तक न आना ही सबसे बड़ी समस्या है।*
*18- बच्चे को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए अभिभावक को पूर्णतया उत्तरदायी बनाया जाए। जो अभिभावक अपने पाल्य को स्कूल नही भेजता है उसके लिए दंड का प्रावधान होना चाहिए।*
*19-एक सर्व सुविधा सम्पन्न एक बड़ा विद्यालय बनाया जाए तथा बच्चों को आने जाने के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।*
*20- प्रत्येक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक नियुक्त किया जाए क्योंकि बिना नेतृत्व के कोई व्यवस्था नही चल सकती।*
*21- विद्यालयों का supervision किया जाए inspection नही।* **
*22- मिड डे मील को स्कूल परिसर से हटाया जाए और स्थानीय व्यक्ति से न बनवाया जाए क्योंकि किसी व्यक्ति विशेष का बना खाना बच्चे नही खाना चाहते। इसलिए ये बच्चों के स्कूल न आने का कारण बन रहा है।*
*23- विद्यालयों को माँग और आवश्यकता के अनुसार धन उपलब्ध कराया जाए।*
*24- विद्यालयों के विकास से संबंधित कोई भी नीति बनाते समय उन्ही विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों से पूछा जाये क्योकि विद्यालय में क्या सुधार होने चाहिए उससे बेहतर कोई नही बता सकता। आजतक कोई शिक्षा नीति कारगर साबित नही हुई क्योकि ए. सी. में बैठकर पसीने पर निबंध लिखे जाते रहे है।*
*18- अंतिम सुझाव ये है कि ये शिक्षा नीति भी शैक्षिक सुधार की नब्ज नही पकड़ सकी। एवम शिक्षको की नियुक्ति प्रक्रिया जटिल की गई है जिससे भविष्य में शिक्षकों की कमी होना स्वाभाविक है ।इसलिए अगली शिक्षा नीति आना निश्चित है।*
*महोदय जो विचार मैंने आपके समक्ष प्रस्तुत किए है कृपया उन बिंदुओं पर विचार हो।*
*धन्यवाद*
* ये मैसेज सभी बुद्धिजीवी अपनी ईमेल से nep.edu@nic.in पर भेजे ओर आपत्ति दर्ज कराए।*
---------#######-###########--------;####
सेवा में,
श्रीमान HRD मंत्री जी
भारत सरकार, नई दिल्ली
बिषय--नई शिक्षा नीति पेज न0 123 पैरा p5.1.8 में संसोधन के संबंध में।
महोदय, अवगत हो कि आपके HRD मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति के विषय मे सुझाव मांगे गए हैं। जिसमें पेज न0 123 पैरा p5.1.8 में कहा गया है कि 2022 के बाद के बाद पैरा टीचर ( शिक्षा कर्मी, शिक्षा मित्र, आदि ) शिक्षण कार्य नही करेंगे।
महोदय से अनुरोध है कि उपरोक्त पेज न0 123 पैरा p5.1.8 स्पष्ट दिशा निर्देश यह भी दिया जाय जो लोग पैरा टीचर 2 वर्ष btc, या ncte द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण मानक को पूरा कर ले उन्हें राज्य सरकारें ट्रेंड वेतनमान पर समायोजित करें। ताकि पैरा टीचरों की शेष उम्र बिना तनावपूर्ण शिक्षण कार्य कर सके। धन्यवाद।।
भवदीय
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