पूर्व शासनादेश के अनुसार ही घोषित होगा परिणाम
बीटीसी अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई याचिका के अनुसार हाईकोर्ट ने सरकार की 33 परसेंट कट ऑफ वाले शासनादेश पर स्टे दे दिया है। बीटीसी अभ्यर्थियों का कहना है कि किसी भी भर्ती के नियम को विज्ञापन के बाद नहीं बदला जा सकता है जबकि सरकार ने विज्ञापन से पूर्व शिक्षक भर्ती परीक्षा का कट ऑफ 40 और 45 परसेंट रखा था। फिर शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा अनुग्रह करने पर परीक्षा से कुछ दिन पहले ही कट ऑफ संशोधित करके 30 और 33 परसेंट कर दिया गया। इससे शिक्षामित्रों को बहुत राहत मिली और कई शिक्षामित्र आसानी से उत्तीर्ण हो गई। लेकिन बीटीसी अभ्यर्थियों को यह गवारा ना हुआ और उन्होंने इस संशोधित शासनादेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। कोर्ट ने भी बीटीसी अभ्यर्थियों के साथ और उनकी तर्क से सहमत होकर सरकार के 33 परसेंट वाले शासनादेश पर कोर्ट के अंतिम फैसले तक स्टे दिया है। कोर्ट ने सरकार को 4 हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
सोचने की बात यह है की शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम 30 जुलाई के बाद आना था लेकिन अब 4 हफ्तों का समय मिलने के बाद क्या परीक्षा परिणाम समय से जारी हो सकेगा। क्योंकि कौन पास होगा या कौन फेल यह कट ऑफ फाइनल होने के बाद ही तय होगा।
सोचने की बात यह है की शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम 30 जुलाई के बाद आना था लेकिन अब 4 हफ्तों का समय मिलने के बाद क्या परीक्षा परिणाम समय से जारी हो सकेगा। क्योंकि कौन पास होगा या कौन फेल यह कट ऑफ फाइनल होने के बाद ही तय होगा।
लेकिन सरकार ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दिखाते हुए कहां है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम पूर्व के शासनादेश के अनुसार ही 33% कटऑफ के आधार पर समय से जारी कर दिया जाएगा। एक तरफ जहां शिक्षामित्रों की सरकार से लगातार कटऑफ हटाने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीटीसी अभ्यर्थी कटऑफ बनवाने का प्रयास कर रहे हैं।
सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 9 जनवरी 2018 के शासनादेश के अनुसार ही परिणाम घोषित करने के अंतरिम आदेश दिए हैं। न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने दिवाकर सिंह की याचिका पर दिए। याची के अधिवक्ता हिमांशु राघवे ने बताया कि 9 जनवरी के शासनादेश के साथ जारी की गई गाइडलाइन्स में लिखित परीक्षा के लिए न्यूनतम मार्क्स सामान्य व आरक्षित वर्ग के लिए क्रमशः 45 व 40 रखा गया था। जिसे 21 मई 2018 को जारी शासनादेश द्वारा संशोधित करते हुए, क्रमशः 33 व 30 कर दिया गया। वर्तमान याचिका 21 मई के शासनादेश को चुनौती दी गई थी।
High Court Order |
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