असमायोजित महिला शिक्षा मित्रों को भी एक राहत भरी खबर है। सरकार ने समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय पर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। उसी दौरान असमायोजित महिला शिक्षा मित्रों ने भी अपने मनपसंद विद्यालय जहां उनका ससुराल या पति का कार्यक्षेत्र है नियुक्ति की मांग की थी। असमायोजित शिक्षामित्र संगठन के प्रयास से शासन ने इस बात को भी स्वीकार करते हुए सहमति दिखा दी है कि अब असामाजिक महिला शि क्षामित्र को भी ससुराल के पास स्कूल में तैनाती मिलेगी।
30000 ऐसे शिक्षामित्र वंचित हो गए थे जिनका समायोजन नहीं हो पाया था। वह अपने मूल विद्यालय में ही पढ़ा रहे थे। उनमें से महिलाएं अपने मूल विद्यालय बढ़ाते हुए विवाहित हो गई लेकिन ससुराल के पास नजदीक विद्यालय में नहीं जा पाई। उनके लिए सुनहरा अवसर है। वे अपना विद्यालय बदल सकती हैं।
आपको बता दें कि सामाजिक शिक्षा मित्र अपने मूल विद्यालय से 100 से डेढ़ सौ किलोमीटर दूरी पर पढ़ाने के लिए जाते हैं। इसकी मांग शिक्षा में संगठन ने शासन से कई बार की कि उन्हें उनके मूल विद्यालय पर भेज दिया जाए ताकि वह मात्र ₹10000 के अल्प मानदेय में आवागमन के व्यय से बच सकें और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ भी मिल सके। इसके अंतर्गत महिला शिक्षा मित्रों को एक अत्रिरिक्त विकल्प और दिया था कि वह अपने मूल विद्यालय के अतिरिक्त ऐसे विद्यालय को भी चयनित कर सकती हैं जहां उनकी ससुराल हो या उनके पति का कार्य क्षेत्र हो लेकिन इसके लिए उन्हें अपने पति का मूल निवास प्रमाण पत्र लगाना अनिवार्य होगा। यह शासनादेश केवल समायोजित शिक्षामित्रों के लिए था। लेकिन अब शासन ने असमायोजित शिक्षामित्रों में महिलाओं को यह अवसर देने की सहमति दिखा दी
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