इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा दिनांक - 30/05/2018 को दिये गए डिवीज़न बेंच के आदेश के क्रम में एवं एनसीटीई के गाइड लाइन के नियमानुसार अनुसार कौन पात्र हैं और कौन अपात्र हैं?
1- यूपी टेट या सीटेट में वही आवेदन करने हेतु पात्र है जो एक वर्षीय कोर्स जैसे बीएड की फाइनल परीक्षा दी हो और परिणाम आना बाकी।
2- बीटीसी दो वर्षीय कोर्स(चार सेमेस्टर वाला कोर्स) के लिए एक वर्ष पूरा हो और तीसरे सैमेस्टर की परीक्षा दी हो और तीसरे का परिणाम आना बाकी हो, न कि चौथे का।
3- डी एड(विशेष शिक्षा दो वर्षीय कोर्स) के लिए पहला वर्ष पूरा किये हो और दूसरे वर्ष की परीक्षा दी हो, तथा फाइनल परिणाम आना बाकी हो, क्योकि इस कोर्स में सैमेस्टर प्रणाली नही है, अर्थात दूसरे वर्ष का फाइनल परिणाम आना बाकी हो।
4- बी एल एड कोर्स ( चार वर्षीय कोर्स के लिए) दो वर्ष पूरा किये हो और तीसरे वर्ष की परीक्षा दिए हो,तथा तीसरे वर्ष का परीक्षा परिणाम आना बाकी हो।
5- वि.बीटीसी कोर्स ( विशेष प्रशिक्षण छः माह का)के लिये प्रशिक्षण पूरा करने के बाद की परीक्षा दी हो,और परीक्षा परिणाम आना बाकी हो।
इसलिए उपरोक्त लोग टेट या सीटेट देने हेतु अर्ह हैं।
30 मई 2018 के हाइकोर्ट के आदेश के क्रम में
1- बीएड का परिणाम अगर टेट परिणाम के पहले आया है तो टेट वैध अन्यथा अवैध
2- बीटीसी तृतीय सैमेस्टर का परीक्षा परिणाम अगर टेट परिणाम के पहले आया हो तो टेट वैध अन्यथा अवैध
3- डी एड(विशेष शिक्षा) का फाइनल परिणाम अगर टेट परिणाम के पहले आया हो तो वैध अन्यथा अवैध
4- बीएलएड में तीसरे वर्ष का परीक्षा परिणाम अगर टेट परिणाम के पहले आया हो वैध अन्यथा अवैध
5- वि.बीटीसी में फाइनल परीक्षा का परिणाम अगर टेट परिणाम के पहले आया हो तो वैध अन्यथा अवैध
उपरोक्त आधार पर अपना अपना टेट मिलान कर लीजिए कि वैध है कि अवैध।
उक्त के क्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट के डिवीज़न बेंच के द्वारा दिनांक - 30 मई को दिये गए अवैध टीईटी प्रकरण हिमांशु राणा व मो. अरसद सहित लगभग 60,000/- फर्जी बेसिक एवं जू. शिक्षकों का सेवा से बर्खास्त होना सुनिश्चित हैं, इनको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की सम्भावनाएं अति न्यून हैं, उक्त प्रकरण गोयल पीठ पर लगभग सुनवाई होना सुनिश्चित हैं जो कि अगले सप्ताह किसी भी तिथि पर सुनवाई होने की संभावना हैं, योगी सरकार लोक सभा चुनाव के दृष्टिकोण से, उक्त प्रकरण को लेकर बिल्कुल मौन हैं लेकिन बचाव में इनके साथ बिल्कुल नहीं है, सुप्रीम कोर्ट से उक्त प्रकरण खारिज होते ही सरकार कोर्ट अवमानना से बचने के लिए तुरन्त इनको सेवा से बर्खास्त करने की प्रक्रिया तुरन्त प्रारम्भ कर देगी।
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