टीम रिज़वान अंसारी लगातार विगत कुछ दिनों से लगातार धरातलीय स्तर पर कार्यरत है। जिसमे पीड़ितों से संपर्क और लीगल एप्प्रोच का कार्य जारी है। प्रदेश के कुछ विधिक साथियों द्वारा कुछ महत्वपूर्ण जजमेंट भी उपलब्ध कराए गए जिनका अध्ययन टीम के अधिवक्ताओं द्वारा जारी है। अब प्रश्न ये है कि सोशल मीडिया पर तमाम तरह से घूमने वाले जजमेंट एवम उनकी एक दो लाइन सकारात्मक मिलने से क्या हम जीत जाएंगे?
उत्तर होगा- नहीं।
हाइकोर्ट में कोई भी केस सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को कोर्ट की टेबल पर पटककर नही जीता जा सकता। *सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का सटीक इंटरप्रिटेशन और टू दि पॉइंट बहस से ही केस को जीता जा सकता।* सुप्रीम कोर्ट का कोई एक सकारात्मक जजमेंट मिलने से लोग ऐसे जीत का जश्न मनाना शुरू कर देते मानो बस यही जजमेंट उनको जीत दिलवा देगा। सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक जजमेंट का अंदरूनी बेस लेकर उसको अपने मामले से सिमिलर सिद्ध करना होता है तब जाकर कोर्ट आपकी बात को सुनेगी। *दो चार सकारात्मक जजमेंट मिलने से पूर्णतया जीत की आशा करना बेमानी होगी। जीत के लिए जजमेंट और तर्कों का सटीक प्रस्तुतीकरण होना अनिवार्य है।* हर सिक्के के दो पहलू होते है ,आपको कोर्ट को वो पहलू दिखाना होगा जो आपके लिए लाभप्रद हो।
तर्कों और जज्मेंट्स का सटीक इंटरप्रिटेशन टीम रिज़वान सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक बखूबी कई बार कर चुकी है। 40/45 केस की होने वाली सुनवाई में टीम रिज़वान एक बार फिर ऐसी धारदार बहस से आप सभी को रूबरू कराने वाली है।
*😊मस्त रहें......व्यस्त रहें।*
★लड़ने वाले ही जीतते हैं।।
*✍🏼वैरागी*💯
®टीम रिज़वान अंसारी।।
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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