व्यस्तता के कारण हम सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता श्री गौरव यादव जी से गहन विचार विमर्श की विस्तृत जानकारी आप लोगों से साझा नहीं कर पाए थे, जो अब साझा कर रहा हूँ।
गहन चर्चा में बहुत ही प्रमुख जानकारियाँ सामने आयीं जो निम्नवत है।
१. मा. सुप्रीम कोर्ट के समायोजन गलत करार दिए जाने वाले फैसले में मा. उच्चतम न्यायालय ने यह साफ कहा है कि शिक्षामित्रों को समायोजन के पूर्व की स्थिति में बहाल किया जाय, किन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने मा.सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए शिक्षामित्रों को साधारण शिक्षामित्र पद पर पूर्ववत कर दिया, जबकि समायोजन पूर्व शिक्षामित्र स्नातक+बीटीसी ट्रेन्ड हो चुके थे। परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने स्नातक+बीटीसी ट्रेन्ड का ना तो शिक्षामित्रों को कोई लाभ दिया और ना ही मा.सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अक्षरशः पालन किया।
२. एक लाख चौबीस हजार का केस पूर्णतः प्रेप्रियाॅरिटी एवं अपग्रेडेशन आधारित मामला है, जिसके अन्तर्गत वे सभी शिक्षामित्र आते हैं जो स्नातक+बीटीसी ट्रेंड हो चुके हैं। उनका स्नातक चाहे किसी भी वर्ष का हो, उन सभी को इसमें लाभ मिल सकता है, जो इस केस में याची बने हैं, बन रहे हैं या बनेंगे।
३. प्रेप्रियाॅरिटी का अर्थ यह हुआ कि यदि पूरे देश में कहीं स्नातक+बीटीसी ट्रेंड को वेतनमान दिया गया है तो उसी के आधार पर हम शिक्षामित्रों को भी उसी आधार पर वेतनमान दिया जाय।
४. यह केस अपग्रेडेशन आधारित है जिसका तात्पर्य यह हुआ कि शिक्षामित्र की नियुक्ति भले ही इण्टर बेस पर हुई हो किन्तु लम्बे अनुभव के साथ साथ शिक्षामित्रों की योग्यता भी स्नातक+बीटीसी ट्रेंड की हो चुकी है, इसलिए शिक्षामित्रों को अब उनके लम्बे अनुभव व स्नातक+बीटीसी ट्रेंड के आधार पर वेतन वृद्धि की जाय।
५. चूँकि इस केस में कोई भी लीगल संगठन इनवाॅल्व नहीं है, इसलिए इस केस का आर्डर याची आधारित ही होगा। अर्थात इससे सिर्फ याचियों को ही लाभ मिल सकेगा। जनरल आर्डर इस केस में नहीं आएगा।
कुछ लोग रिट डालने के बाद संगठन बनाकर संगठन के नाम से आई ए डालने की बात कहकर शिक्षामित्रों को गुमराह कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि रिट के बाद बनने वाला संगठन इस रिट के लिए लीगल ही नहीं होगा।
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