यूपी में शिक्षामित्रों की स्थिति पर बात की जाये तो एक वर्ग उनके पक्ष रहता है कि 18 वर्ष तक प्राथमिक शिक्षा में सेवा देने के बाद भी उनके साथ बहुत बुरा हुआ है तो कहिं दूसरा वर्ग उच्च शिक्षा और बच्चों के सुनहरे भविष्य के तर्कों को देकर उनके साथ जो हुआ, अच्छा हुआ का भी समर्थन करते हैं।
लेकिन बात यहाँ समाज के विचारों से नहीं अपितु सरकार के प्रति शिक्षामित्रों की विचार धारा से है। हम जिस राज्य में रहते हैं वहाँ कि सुप्रीम पावर मुख्यमंत्री ही होते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी के Dwara कठोर निर्णय के साथ साथ दया धर्म पर भी निर्णय लिये जाते हैं।
ऐसे में कुछ शिक्षामित्र समायोजन निरस्त होने का कारण भाजपा सरकार को मानते हुए उनके विरूद्ध सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी किये बगैर नहीं मानते हैं। साथ ही समाजवादी पार्टी के एक नेता या सदस्य के रूप में विरोधीपक्ष की भी भूमिका निभाते हैं।
भले ही यह सब व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबधित हो लेकिन इसका खामियाना शायद शिक्षामित्रों को भुगतना पडता है।
कल मझगांवा में गगहा पुलिस ने आदर्श शिक्षामित्र नाम से चल रहे ग्रुप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोपित पर सोमवार को मुकद्मा दर्जं किया।
हिन्दु युवा वाहिनी के गगहा ब्लाक अध्यक्ष व ग्राम डेहरीभार निवासी मलखान सिंह ने तहरीर में लिखा है कि टिप्पणी से हमारी भावनाऐं आहत हुई हैं और कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाये। धानाध्यक्ष ने बताया कि आरोपित की तलाश की जा रही है। शीघ्र ही उसकी गिरफ्तारी हो जायेगी।
सोशल मीडिया पर सरकार या सरकार के मुखिया के खिलाफ लिखना अब शिक्षामित्रों को भारी पड़ सकता है। ऐसा करने से उनकी नौकरी तो जायेगी ही, अन्य सामाजिक परिस्थियों से गुजरते हुए कई परेशानियों का सामना भी करना पड सकता है।
शिक्षामित्रों को नई शिक्षा नीति में अपनी बेहतर जगह बनाने के लिए सरकार की ओर न्याय और दया के साथ देखना चाहिए अन्यथा कि स्थिति में इस प्रकार के सोशल मीडिया के केस सम्पूर्ण शिक्षामित्रों का भविष्य दांव पर लगा सकते हैं।
To kya koi Aarti utare inki.....is bar k election me to pata chal hi jayega
ReplyDeleteE Shram Card अगर मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है, या खो गया है, तो ऐसे बना सकते है श्रम कार्ड
ReplyDeleteUP Post Matric Scholarship में मिलेंगे 12-12 हजार रूपए
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