जैसा कि समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत नियुक्त प्रदेश के लाखों पीड़ित शिक्षामित्रो को विगत तीन माह से मानदेय, शासन के द्वारा अभी तक ग्रांट प्रेक्षण न करने के कारण अप्राप्त है, पैसे के अभाव में प्रदेश के पीड़ित शिक्षामित्रो में भयंकर आर्थिक तंगी गतिमान है, जोकि अब अगले माह - फरवरी के द्वितीय सप्ताह में ही मिलने की संभावना दिखाई दे रही है,
फिलहाल इस समय नित दो से तीन पीड़ित शिक्षामित्रो की लाशें आर्थिक तंगी व अपना भविष्य असुरक्षित महसूस कर के अचानक उठती चली जा रही है, जो कि योगी सरकार के लिए बहुत ही शर्मसार करने वाली व नृशंस अमानवीयता का चरित्र चित्रण करती है, अपने संकल्प पत्र में तीन माह में पीड़ित शिक्षामित्रो का भविष्य सुरक्षित करने का वायदा भुला चुकी योगी सरकार,
चार साल बीतने के बाद एवं अन्तिम वर्ष गतिमान होने पर भी अभी तक स्मृति में न आना बहुत पीड़ादायक है, हमारे कतिपय शीर्ष नेता जरूर हल्ला-गुल्ला मचा रखे हैं लेकिन विश्वास बिलकुल भी नहीं हो पा रहा है, जब सरकार ने 69000/- शिक्षक भर्ती में लगभग 32000/- अर्ह पीड़ित शिक्षामित्रो को शिक्षक न बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पूरी ताकत लगा दी और सफल भी हो गई? तो फिर प्रदेश के सभी पीड़ित शिक्षामित्रो को अब कैसे विश्वास हो पाये कि प्रदेश की सरकार उक्त पीड़ितों के दर्द को आगामी नये सत्र से हल्का जरूर कर देगी?
बहरहाल अब पीड़ित शिक्षामित्रो के पास आगामी शिक्षक भर्ती की तैयारी करने व शीर्ष नेताओं को मुख्यमंत्री जी से मिल करके बार मिन्नतें करने के अतिरिक्त हमारे विचार से कोई भी विकल्प नहीं बचता है? उक्त परिस्थिति एवं पीड़ा के साथ
जय महाकाल
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