जैसा कि कोरोना काल में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव में लगभग दो सौ से अधिक पीड़ित शिक्षामित्रो ने संक्रमित होने से दम तोड़ चुके हैं, आज की परिस्थितियों में उक्त मृतकों के परिजनों को जिला प्रशासन, यूपी सरकार यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लेना चाहती हैं कि संविदा कर्मियों के लिए किसी भी प्रकार का सुविधा देय नहीं है, वास्तव में ऐसे समय में ही पता चलता है कि कौन सी नौकरी महत्वपूर्ण है और कौन सी महत्त्वहीन?
फिलहाल यूपी सरकार को उक्त पीड़ितों की मदद अनिवार्य रूप से करनी चाहिए क्योंकि नियम कानून बनाने व निष्प्रभावी करने सहित सम्पूर्ण अधिकार राज्य सरकार के पास निहित है, खैर वर्तमान सरकार के कार्यकाल अभी भी छ: माह पूर्ण होने में अवशेष है, इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में यूपी सरकार को उक्त सभी पीड़ितों के साथ निष्पक्षता के साथ इंसाफ जरूर करना चाहिए? समायोजन निरस्त होने अब तक 4000/- से अधिक पीड़ित शिक्षामित्रो की मौत हो चुकी है,
4.5 वर्ष योगी सरकार के पूर्ण हो चुके हैं लेकिन अभी तक प्रदेश के सभी पीड़ित शिक्षामित्रो के जीवन की सुरक्षा व उनकी जीविका को स्थायी बनाने मे योगी सरकार शत प्रतिशत असफल रही है? अवशेष समय में अभी भी सभी पीड़ित शिक्षामित्रो को उम्मीद जिंदा है कि आचार संहिता लगने के पूर्ण योगी सरकार पीड़ित शिक्षामित्रो के लिए कोई न कोई सकारात्मक योजना जरूर लें करके आयेगी, जून माह का मानदेय सरकार द्वारा न देना, यह भी बहुत ही पीड़ादायक व भूखमरी का होना साबित हो रहा है*?
उक्त परिस्थिति एवं पीड़ा के साथ
0 comments:
Post a Comment