उत्तर प्रदेश में असहाय पीड़ित शिक्षामित्र विगत लंबे समय से राजनीति के भंवर में फंसकर इतना निचुड चुका है कि उसने खून के आंसू रोए हैं यह बात अलग है कि हर व्यक्ति को अपने स्वार्थ की चिंता होती है किंतु अब समय वह नहीं कि अलग-अलग धड़ों में बटा वा बाटा जाए अलग-अलग मांग रखी जाए।
अलग-अलग लड़ाई लड़ी जाए अस्तु समस्त लोगों से निवेदन है चाहे आप टेट हो चाहे आप नॉन टेट हो चाहे आप इंटर पास हो एक सूत्र में बाधने और बांधने का काम करें और अपनी आवाज को उठाने का काम करें यह सरकार का व्यक्तिगत मत है कि
वह हमें 10 खंडों में विभाजित करें या 5 खंडों में बांटे या 50 खंडों में हमें अपनी ताकत का एहसास कराते हुए अपनी एकता का परिचय देते हुए केवल और केवल स्थाई समाधान की मांग करनी चाहिए ताकि अधेड़ उम्र में आ चुके हम सभी लोग अपने परिवार का भरण पोषण एवं जिंदगी के बच्चे हुए मुट्ठी भर दिन आराम से काट सकें आशा है मेरी बात को आप सभी लोग समझेंगे और इस पोस्ट को अवश्य समझने का प्रयास करेंगे!
शिक्षामित्र की एकता और एकाग्रता भंग ना करें , व्यक्तिगत स्वार्थ के चक्कर मे बहुत हुआ टेट नान टेट, समायोजन पूर्व टेट,प्रशिक्षित ,अप्रशिक्षित, समायोजन पूर्व स्नातक ,समायोजन पश्चात स्नातक ,1,24000 (एक लाख चौबीस हजार ) आदि,आदि बहुत दिनों बाद ये एकता देखने को मिली है इस एकता को खंडित ना करें। जब आम शिक्षामित्र एक हो रहें तो सभी छोटके, बड़के स्वम्भू नेता को ये हजम क्यों नहीं हो रहा है।
स्थापित संघ गाजी गुट व शाही गुट तो नही परेशान हैं क्योकि यह दोनों संग़ठन सदैव आम शिक्षामित्रों का पैरोकार रहा हैं। उसने शिक्षामित्रो को बांटने में कभी विश्वाश नही किया। सबसे ज्यादा परेशान तो मौसमी(सिजनल) व व्हाट्सएपिया वीर शिक्षामित्र नेता हैं जिनको उनके ब्लॉक के ही शिक्षामित्र साथी नही पहचानते हैं।चुनाव नजदीक हैं एकजुट होकर कुछ करवा लो,साथियों संगठित रहो एक रहो अब नेता बनकर क्या करोगे रोजी -रोटी सुरक्षित कर लो
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