सोशल मीडिया पर यह दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है कि जीत के लिए आमुक वकील का रहना जरूरी है, आपको यह बताना अति आवश्यक है कि जिस वकील ( एल पी मिश्रा) के नाम पर धन उगाही की जा रही है वह वकील कोई सीनियर वकील नही है और न ही आज तक किसी केस में शिक्षामित्रों को किसी केस में जीत दिलवाई है, 1.24 वाले मामले में सिद्धार्थनगर टीम ने उन वकील साहब को खूब पैसा दिया लेकिन परिणाम शून्य ही रहा, समायोजन वाले केस में इनको इलाहाबाद लेकर गए थे ।
लेकिन नतीजा ज़ीरो ही रहा, अब फिर से वही इतिहास दोहराने की कोशिश की जा रही है, आपने सुप्रीमकोर्ट में देखा था कि हिंदुस्तान के सबसे बड़े वकील हमारा केस लड़ रहे थे फिर भी हम हार गए जबकि उसी सुप्रीमकोर्ट से रिज़वान ने दो बार अलग अलग केस (टेट17 और सीबीआई) में जीत हासिल की और उसके पास कोई बड़े नामी गिरामी वकीलों के चेहरे भी नही थे, हाइकोर्ट में भी हर केस में सफलता दिलवाई *( टेट17 में 11000 लोग पास, टेट18 में 19500 लोग पास, सीबीआई जांच, 69000 में टेट17 के लोगों को परीक्षा में रातों रात शामिल करवाना, 69000 में 40 45 की जीत दिलवाना)।
इतनी सफलताओं के बावजूद भी हम भटक रहे हैं तो यह हमारी मूर्खता ही है, आज सोशल मीडिया पर कुछ लोग सक्रिय होकर केवल रिज़वान का विरोध केवल इसलिए कर रहे हैं कि वह अब और आगे न जा सके लेकिन जिसके साथ ईश्वर हो उसे कौन रोक सकता है, साथियों पता नही 172000 में किस की किस्मत से रिजवान और उनकी टीम हमे मिली है, अब आप सोचो अगर रिजवान की टीम ने अपने हाथ पीछे खींच लिए तो कौन है जो हमे जीत की गारंटी दिलवा सकता है, कोई भी वकील केवल कोर्ट में खड़ा होकर आपकी बात को जज के सामने प्रस्तुत कर सकता है लेकिन वकील को क्या बोलना है यह तय करना पैरवी कार का काम होता है, किस आधार पर बहस करनी यह यह पैरविकारों के ऊपर निर्भर होता है।
यदि पैरविकार जिस पैरविकार को केस से सम्बंधित साक्ष्यों, तर्को का ज्ञान ही नही होगा वह क्या खाक केस जीतेगा, हमें तो केवल नौकरी चाहिए, बाकी आप सोचो आपको क्या चाहिए नौकरी या सोशल मीडिया पर रोज रोज गरमा गर्म बहस
मेरा तो बस इतना ही मानना है कि.. *रिजवान हैं तो मुमकिन है* बाकी आप क्या सोचते हो..........?
सत्यपाल सिंह
ब्लॉक अध्यक्ष
सम्भल