मेरा उत्तर प्रदेश के समस्त शिक्षामित्र भाइयों और बहनों 25 जुलाई 2017 के बाद से प्रदेश का संपूर्ण शिक्षामित्र अपने आप को हताशा और निराशा से नहीं निकाल पा रहा है एक तरफ जहां परिवार की चिंता है तो वहीं दूसरी तरफ मिलने वाला अल्प मानदेय, वहीं दूसरी ओर महंगाई की मार के चलते घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है वहीं दूसरी तरफ उम्र के इस पड़ाव में आकर के अधिकांश लोग तमाम प्रकार की बीमारियों से ग्रसित है जिसमें सबसे ज्यादा मानसिक अवसाद से पीड़ित लोग हैं जिसके चलते हजारों लोग इस दुनिया से अलविदा हो चुके हैं और अभी अभी आज एक घटना फिर हुई है वाराणसी से।
मित्रों कहने का आशय यह है कि शिक्षामित्र के हित के लिए उनको सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिए जाने हेतु 3 वर्ष पहले एंप्लॉयमेंट प्रोविडेंट फंड यानी कर्मचारी भविष्य निधि मे वाद दाखिल कर योजना का लाभ पूरे प्रदेश के शिक्षामित्रों को मिले जिसको लेकर के सरकार 2019 में कोर्ट गई थी 28 फरवरी 2020 को शिक्षामित्रों के पक्ष में ऑर्डर आया तब से लेकर पूरे प्रदेश में ईपीएफ द्वारा कार्यवाही गतिमान है शिक्षामित्रों को यह लाभ ना देना पड़े जिसको लेकर के सरकार पुनः लखनऊ हाई कोर्ट चली गई है इसी अगस्त में सरकार ने मुकदमा दाखिल कर दिया है
सरकार ने इस लड़ाई को अपनी प्रतिष्ठा माना है तो मेरे प्रदेश के शिक्षा मित्रों भाइयों और बहनों में केवल एक सवाल यहां पर आप सभी से करूंगा कि जब सरकार सामाजिक सुरक्षा को लेकर के दोबारा कोर्ट का रुख अख्तियार कर सकती है तो आप यह समझ जाइए कि सरकार हमारे पक्ष में कितना है और हमको क्या देगी मैं बहुत ज्यादा तो नहीं लिखूंगा। आप सभी लोग पूरे मनोयोग से आगे आएं और हाई कोर्ट में जो मुकदमा सरकार द्वारा दाखिल किया गया है उसकी मजबूत पैरवी के लिए सपोर्ट करें यह लड़ाई अगर हम लोग हार गए तो शिक्षामित्र का एक दिन जरूर काला इतिहास लिखा जाएगा जो आने वाला है
बाकी जिनको लगता है कि सरकार आपको अध्यापक बनाएगी प्री प्राइमरी में डालेगी अच्छी बात है उनके अपने विचार हो सकते हैं लेकिन आप सभी लोग इस बात को बहुत ठंडे दिमाग से अवश्य सोचिएगा
त्रिभुवन सिंह
प्रदेश उपाध्यक्ष
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ





