सभी शिक्षामित्र अवगत हो लें श्रीमान भोला शुक्ला,दीदी और तमाम टीम जो समान कार्य समान दिलवाने दिल्ली सुप्रीम कोर्ट गए थे इन टीमों और इनके वकीलों की महान गलतियों की वजह से राज प्रताप सिंह सचिव जी के शासनादेश में 11 महीने की जगह 41 माह का इंग्लिश ट्रांसलेशन एफिडेविट लगाया गया कोर्ट ने उसी को आधार बनाते हुए फैसला दे दिया।अब अगर इस गलती को सुधारने के लिए मोडिफिकेशन एप्लिकेशन किसी सीनियर वकील द्वारा दाखिल नहीँ किया गया तो सरकार 41 माह बाद कोर्ट ऑर्डर का कंप्लायंस कराते हुए शिक्षामित्रों को बाहर कर देगी और बता देगी की कोर्ट का ऑर्डर है।इस सम्बंध में कोई भी पैरवी वाली टीम आगे आने को तैयार नहीँ है सूत्रों से पता चला है कि पैरवी करने वाले नेता याची-याची खेल कर नीरव हो चुके है।
प्रोसेस क्या है
जब वादी या प्रतिवादी द्वारा गलत साक्ष्य कोर्ट पर लगाया जाता है और कोर्ट उन्ही गलत साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुना देती है तो उस गलती को सुधारने के लिए मोडिफिकेशन एप्लिकेशन फ़ाइल करना होता है जिस पर बाकायदा कोर्ट में बहस होती है फिर कोर्ट गलत साक्ष्य लगाने के लिए जुर्माना करती है जब जुर्माना जमा हो जाता है तब कोर्ट ऑर्डर में सही साक्ष्य के आधार पर संशोधन करती है अब प्रश्न उठता है कि मोडिफिकेशन फ़ाइल कौन करेगा?हमने भी कई लोगों से जो पैरवीकार थे सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन सब नीरव की तरह फरार है दिलचस्प बात यह है कि जिनको लूटना था वह लूट कर निकल लिए अब वह सोच रहे है कि वह रुपया क्यों लगाएं हालांकि जो लूट कर रख लिए हैं वह रुपया उनका नही है आम शिक्षामित्र का है लेकिन है तो है फिलहाल उनके पास है तो उनका हुआ।इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील साहब का कहना है कि जितना लेट में मोडिफिकेशन एप्लिकेशन फ़ाइल होगा जुर्माना उतना ही अधिक होगा इसलिए जो भी लोग समान कार्य समान वेतन लेने याची बनकर पैरवीकार टीमों से जुड़े थे वह सब अगर 41 माह के बाद भी शिक्षामित्र बने रहना चाहते हों तो उन नेताओं पर दबाव बनाएं नही तो लंका लगनी तय है।
कुछ लोग यह भी कहेंगे कि नहीं ऐसा हो ही नही सकता तो भैया सरकार किसी भी तथ्य को लिखित मानती है मौखिक नहीं।
खैर मुझे जितनी सही जानकारी थी मैने बता दी आगे मर्जी आप लोगों की।
सुनने में यह भी आ रहा है कि वीडियो वाले वकील साहब मोडिफिकेशन फ़ाइल करने जा रहे है जिनका दावा है कि वह इस केस के बारे में बहुत जानते हैं खैर उनकी जानकारी और पैरवी मैं समायोजन,कयुरेटिव और संविधान पीठ तक देख चुका हूँ मेरे हिसाब से इस केस को आर के सिंह साहब को देना चाहिए लेकिन पैसा कौन लगायेगा वह लोग जो याची बनाकर कमाई किये या फिर एक बार पुनः इस केस में चन्दे का धंधा शुरू होगा यह तो वक्त बताएगा।
धन्यवाद
मुबारक खां
शिक्षामित्र
0 comments:
Post a Comment