जैसा कि मुख्यमंत्री जी ने बिना बेसिक शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों की पूरी तरह से सहमति से एवं 07 विधान सभाओं के उपचुनाव में हार के भय को दूर करने के लिए दिनांक-16 अक्टूबर को चयनित 30,345/- को नियुक्ति पत्र बिना विद्यालयों के आबंटन के जरूर बंटवा दिए लेकिन आप नियुक्ति पत्र को ध्यान से अगर शुरू से पढ़ें तो यही लगता है कि जब सुप्रीम कोर्ट के अन्तिम निर्णय के अधीन ही उक्त की नियुक्ति पत्र मुख्यमंत्री जी को बंटवाना था तो आखिरकार एक - दो सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के अन्तिम निर्णय की प्रतीक्षा कर लेते तो, कौन सी बड़ी क्षति हो जाती है,
फिलहाल हम तो यही चाहते हैं कि जो नियुक्ति पत्र पा गए हैं उनके साथ सुप्रीम कोर्ट का फाइनल आदेश आने के बाद कोई अवांछित आंच न आये? लेकिन यदि फाइनल आदेश सभी 69000/- शिक्षक भर्ती प्रक्रिया एक साथ 40/45 न्यूनतम पासिंग मार्क पर ही सम्पन्न करवाने का आ जाता है तो निश्चित है कि नियुक्ति पत्र पाये-30345/- पर केवल चयनित शिक्षामित्रो को छोड़कर के अन्य चयनितों के जिला आबंटन को लेकर विवाद पुन : कोर्ट कचहरी में गर्म होगा क्योंकि सभी 40/45 कट ऑफ पर चयनित पीड़ित शिक्षामित्र अपने होम जनपद में ही नौकरी करना चाहेंगे और यह विवाद बड़ा तो प्रथम फेस के 30,345 की चयनित सूची विवाद की भेंट चढ़ने में देर नहीं लगेगी, क्योंकि सच्चाई यही है कि केवल 6675/- पीड़ित शिक्षामित्रो का ही चयन सही हो सकेगा अन्य सभी बीटीसी एवं बीएड् धारियों के मेरिट के आधार पर जनपद को लेकर विवाद बढ़ सकता है?
बहरहाल दशहरा अवकाश के बाद शीर्ष अदालत का फाइनल फैसला किसी भी तिथि पर आ सकता है, इस समय मुख्यमंत्री जी के द्वारा दिनांक - 16 अक्टूबर को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में दिए गए सम्बोधन में पीड़ित शिक्षामित्रो के प्रति किए गए कटाक्ष से लगभग सभी आम पीड़ित शिक्षामित्र अपना भविष्य असुरक्षित महसूस कर के आहत हैं, गतिमान विपदा में आडियो बाबा के नाम से प्रसिद्ध शीर्ष नेता जी के द्वारा बिना किसी डेडलाइन के यह बार बार नित अपने आडियो प्रेक्षण करके यह कहना कि आपका भविष्य सुरक्षित होने जा रहा है और जल्द सुरक्षित होगा?
इस तरह के उक्त शीर्ष नेता जी के द्वारा अप्रमाणित असंतुष्ट करने वाला सांत्वना को विगत 3.5 वर्षों से देना, केवल आम पीड़ित शिक्षामित्रो को अब तक कष्ट पहुंचाने के अतिरिक्त कुछ भी साबित न हो सका? खैर अब पीड़ित शिक्षामित्रो का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फाइनल आदेश आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि यूपी के पीड़ित शिक्षामित्रो का यूपी के परिषदीय विद्यालयों में भविष्य सुरक्षित है या असुरक्षित? क्योंकि हमें नहीं लगता है कि बाबा जी अब पीड़ित शिक्षामित्रो के साथ कोई सहानुभूति दिखाने वाले हैं?
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