एक लम्बे समय के इंतजार के बाद आखिरकार यूपी में शिक्षक भर्ती का आदेश जारी हो ही गया। यह बात अलग है कि 69000 शिक्षक भर्ती में से 31661 पदों पर ही भर्ती का आदेश जारी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शिक्षामित्रों के लिए पदों का सुरक्षित रखकर शेष पदों पर ये भर्ती हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ही 27 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर उन्हें सरकार द्वारा मूलपद शिक्षामित्र पर वापिस भेज दिया गया था। जहाँ उनका मानदेय 10,000 रू0 कर दिया गया। वेतन प्राप्त करने के बाद सहायक अध्यापक के पद पर शिक्षामित्रों ने परिवार और बच्चों के लिए जीवन की तीन मूलभूत सुविधाओं को मजबूत किया जिसमें रोटी, कपड़ा और मकान आता हैं। साथ ही बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए बड़े स्कूलों में दाखिला भी करवाया। लेकिन 2 वर्ष के इस सुनहरे सफर में अचानक ही एक ऐसा एक्सीडेंट हुआ कि मानों सबकुछ खत्म सा हो गया। जो इच्छाशक्ति के दम पर संघर्ष करते रहे वो आज भी जीवित है और जो परिस्थियों से हार गये वो इस सफर को बीच में ही छोड़ कर दुनिया से चले गये।
रोटी और कपड़ा से इंसान जल्दी समझौता कर लेता है। जैसी परिस्थियाँ होती हैं वैसी ही गुजारा करता है। लेकिन मंकान अगर कर्ज पर हो तो उसे चुकाना तो पड़ता है। साथ ही बच्चों की शिक्षा से समझौता पिता के लिए बहुत कठिन होता है। जब माता-पिता अपने सपने साकार नहीं कर पाते तब वो सपने देखते हैं कि उनके बच्चे उनका सपना पूरा करें या वो अपना सपना ही पूरा करें। लेकिन यह भी बच्चों की अच्छी शिक्षा के बिना संभव नहीं है। शिक्षामित्रों को इन सबसे समझौता करना पड़ा।
इन सब संघर्ष के बाद भी शिक्षामित्र ने पढ़ाई कर शिक्षक बनने के लिए टेट और सुपर टेट की परीक्षा दी और बहुत से सफल भी हुए। लेकिन भर्ती में होने वाली देरी उनको और संकट में डाल रही है। यूपी में होने वाली 69000 शिक्षक भर्ती की ही बात करें तो अब जब सरकार ने 31661 पदों पर भर्ती करने का आदेश दे ही दिया है तो जल्द ही इस पर भर्ती हो जायेगी। शेष पदों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भरा जाना है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश अब कब आने वाला है।
शिक्षामित्रों के लिए जिस तरह बनने वाली हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट 2 सालों में भी सार्वजनिक नहीं हुई, क्या उसी तरफ अब 31661 पदों पर भर्ती होने के बाद शिक्षामित्र पदों पर भर्ती इसी रिपोर्ट की भांति सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के इंतजार में एक लम्बी प्रतिक्षा में न गुजर जाये। वैसे कानूनन एक समय बद्धता है रिर्जव ऑर्डर को सुनाने की लेकिन यह समय बद्धता भी शिक्षामित्रों को क्या लाभ दिला पायेगा क्योंकि अभी यह भी तय नहीं कि फैसला किसके पक्ष में है।
कोर्ट केस के खिलाड़ी क्या रिजवान अंसारी अब रिर्जव ऑर्डर जल्दी सुनाने के लिए कोई कानूनी लड़ाई लड़गें या इसी आदेश को कोर्ट में चुनौती देगें। इस संबध में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है लेकिन फिलहाल यह तय है कि शिक्षामित्रों को अभी और इंतजार करना होगा। अगर सुप्रीम कोर्ट से आदेश जल्दी आने वाला ही होता तो सरकार इस भर्ती को दो भागों में पूरा न करती।
फिर भी सभी शिक्षामित्र इस परीक्षा की घड़ी में धैर्य के साथ न्यायालय की ओर टकटकी लगाये खड़ा है और जीत का शंखनाद सुनने के लिए बेताब है।
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धन्यवाद
गोपाल सिंह का









