25 जुलाई 2017 के बाद सरकार बार 2 कहती रही कि धरना प्रदर्शन बन्द करिये और सभी लोग एक जुट होकर एक मांग पत्र दो,लेकिन कभी सोचा है हमारे नेताओं ने एकजुटता क्यो नही दिखाई---
सरकार सभी शिक्षामित्रों का तात्कालिक राहत के तौर पर 17हजार मानदेय और बिना किसी लिखित परीक्षा भारी भरकम भारांक के साथ भर्ती को तैयार थी।
फिर ऐसा क्या हुआ जिसकी सजा आजतक आम शिक्षामित्र भुगत रहा है।
1--रडुओ,भडुओ की सरकार
नही चलेगी नही चलेगी।
2-समायोजन से नीचे मंजूर नही।
3-ईंट से ईंट बजा देंगे।
4-मुण्डन संस्कार
5-बनारस कांड
ये सब कार्य पूर्ववर्ती सरकार को भीष्म पितामह मानकर किये गए ।
किसी की विधायकी की टिकट तो किसी का एमएलसी चुनाव सब ने शिक्षामित्र के कंधे पर बंदूक रखकर खुद का स्वार्थ साधा। हम बिना लाभ हानि देखे जयकार और मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे।
जिनकी हैसियत प्रधानी का चुनाव लड़ने की नही थी वो विधायक और एमएलसी का ख्वाब देख रहे थे और प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री बदलने का दम्भ भर रहे रहे थे।
अब भी समय है सभी संघठन के नेता एक होकर माननीय योगी जी ,डिप्टी सीएम शर्मा जी और बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश जी के सम्मान समारोह का कार्यक्रम लें।
जो भी नेता एक साथ ना आये उसका बहिष्कार करें क्योंकि प्राथमिकता परिवार है।
आम शिक्षामित्र की पीड़ा
0 comments:
Post a Comment