जैसा कि जहां योगी सरकार अपना आम बजट 22 फरवरी को विधानसभा में पेश करने एवं वही अपनी सरकार के विगत चार वर्षों की उपलब्धियों की गाथाओं का प्रदर्शन 19 मार्च को करने हेतु उसकी तैयारी दिन - रात गतिमान है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश का 1.5 लाख पीड़ित शिक्षामित्र योगी सरकार की ओर विगत चार वर्षों से इंसाफ के लिए हर पल उनकी ओर निहार रहा हैं
परन्तु अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह सरकार अब अपने अन्तिम वर्ष में कुछ राहत देगी या पूर्व के वर्षों की भांति गतिमान वर्ष भी केवल आश्वासन देने के पश्चात बिता देगी? फिलहाल उम्मीद में हर आकांक्षी जीवित रहता है, गतिमान वर्ष में मुख्यमंत्री जी से पीड़ित शिक्षामित्रो को बहुत अधिक आपेक्षायें है लेकिन उक्त आपेक्षायें वास्तविकता में कब तक परिवर्तित होगी? इसे मुख्यमंत्री जी के अतिरिक्त सम्भवतः कोई भी नहीं जानता होगा?
बहरहाल अब मुख्यमंत्री जी से निरन्तर संवाद स्थापित व विनती करने के अतिरिक्त और कोई भी विकल्प सम्भवतः नहीं बच रहा है?
उक्त परिस्थिति एवं पीड़ा के साथ
जय महाकाल