Tuesday, 26 November 2019
मै आज आपके सामने एक सुझाव रख रहा हूँ। पंसद आये तो इस पर अम्ल करे।
किसी भी लडाई को लडने के लिये उस लडाई को लडने के लिये बनाई रणनीति का बहुत योगदान होता है। जैसा कि आप सभी जानते है फिलहाल मे आपकी चार प्रमुख लडाई कोर्ट मे चल रही है।68500,69000, भोला शुक्ला ओर मेरी लडाई ।इनमे से जो लडाई हाईकोर्ट मे चल रही है अगर इनमे आप जीत जाते है तो आप सभी जानते है कि सरकार इनको सुप्रीम कोर्ट लेकर अवश्य जायेगी वो भी इतनी जल्दी हार नही मानेगी। तो इन सब पर हमारी रणनीति क्या होनी चाहिये और जिससे इन सब केसो मे हम जीत दर्ज कर सके।
ओर इसमे हमे कितना समय लेना चाहिये ये लक्ष्य निर्धारित होना चाहिये।जैसे अगर मे कहूँ कि इसमे हमे 4से 5महीने से एक भी दिन ज्यादा नही लेना है।तो हमे रणनीति भी ऐसी बनानी चाहिये।
जिस तरह क्रिकेट मे एक खिलाडी आक्रामक भूमिका मे रहता है और एक डिफेन्सिव होकर खेलता है।जो खिलाडी आक्रामक भूमिका मे रहता है वो विपक्षी खेमे हलचल मचाता रहता है।उसी प्रकार अगर हम इन केसो पर नजर डालै तो इस लडाई मे मेरी भूमिका आक्रामक रूख मे लडने की है तो सब विपक्षी खेमो मे हलचल पैदा होना स्वाभाविक है।मै उनके मस्तष्कि पर प्रहार करूगाँ जिससे वो राजनीति से प्रेरित ना होने पाये उनके सामने ऐसी परिस्थितियो का निर्माण करे जिससे अगर हाईकोर्ट वाले भी केस भी सुप्रीम कोर्ट जाये तो उनके फैसलै भी एक से दो तारीख मे आ जाये।
ओर ये तब होगा जब आप सब एक टीम की तरह काम करोगे। तो सब केसो मे पोजीटिव ही रिजल्ट आयेगा।मै इतने आक्रामक तरीके से खेलना चाहता हूँ जीत निश्चित हो।
और आप भी इन बातो को नजर अंदाज नही कर सकते सब लडाईयो को आप अपनी लडाईयां बना लीजिये क्योकि सबमे आपका ही कुछ ना फायदा होगा ।और 5महीने के लिये सारे निगेटिव विचारो को कुडे के ढेर मे फेक दीजिये फिर देखना उस पोजिटिव सोच सै जो ऊर्जा निकलेगी वो आपको आपके लक्ष्य पर पहुँचाकर ही दम लेगी।
आप ये मत सोचो कि जज क्या फैसला देगे।आप सब ये सोचो कि इन सब केसो का फैसला वो जज तय नही करेगे ब्लकि हमारा कर्म तय करेगा।अपने कर्म के स्तर को इतना ऊँचा कर दीजिये जहाँ से देखने पर जज भी वो फैसला लिखने पर मजबूर हो जाये जो आप चाहता है।और साथ साथ अपनी परीक्षा की तैयारी भी करते रहै जिससे आप पर लगा अयोग्यता का ठप्पा भी हट जाये।
मेरी लडाई आप सबका उत्साह वर्धन भी करूगी ।ओर इसका नुकसान 1%भी नही है ओर फायदा 99% है ।और इसका फायदा उन मृतक शिक्षामित्रो के परिवारो को भी मिलेगा ओर उनकी मदद करने के लिये भी सरकारो को बाध्य होना पडेगा। बाकी आप सभी बुद्धि जीवी है। जो समाज आपको अयोग्य बताता है कम से कम उस समाज आज एक व्यक्ति आपके लियै खडा है कल दस भी खडे हो जायेगे।इसलिये चिन्ता का त्याग करके रण के लिये खडे हो जाये।
अंहकार का त्याग कर दे निजी महत्वाकाँक्षाऔ को 5महीने के लिये छोड दीजिये।फिर देखना निगेटिव कुछ नही होगा हर तरफ से पोजिटिव ही सूचना मिलेगी।इसके लिये आप लोगो को मुझे भी इतना ही स्नैह व प्यार देना पडेगा जो आपने अपने साथियो को दिया है उसमे आप भेद नही करोगो।
मा0 बेसिक शिक्षा मंत्री से शिक्षक संघ की वार्ता में शिक्षामित्र का नाम कहीं नही। Basic Shiksha News
कल दिनांक - 25 नवंबर को यूपी सरकार व शिक्षक संगठनों के बीच फाइनल वार्ता के बीच जो सहमति बनी है उसमें पीड़ित शिक्षामित्रो के सम्बन्ध में कोई भी बिन्दु नहीं?
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल एवं सरकार के बीच आज दिनांक 25 नवम्बर, 2019 को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुुसार वार्ता सम्पन्न
उ0प्र0शिक्षक महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल एवं सरकार के बीच आज दिनांक 25 नवम्बर, 2019 को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनसार वार्ता सम्पन्न हई। वार्ता में डा0 सतीश द्विवेदी जी मा0 मंत्री बेसिक शिक्षा उ0प्र0सरकार, श्रीमती मनीषा त्रिघाटिया सचिव बेसिक शिक्षा उ0प्र0शासन, श्री विजय किरन आनन्द महानिदेशक बेसिक शिक्षा उ0प्र0 डा0 सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह शिक्षा निदेशक बेसिक उ0प्र0 एवं श्रीमती रूबी सिंह सचिव उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद उपस्थित रहीं। जबकि उOप्र0शिक्षक महासंघ की ओर से महासंघ के अध्यक्ष डा0 दिनेश चन्द्र शर्मा, महासंघ के संयोजक एवं विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता श्री ओम प्रकाश शर्मा, श्री हेम सिंह पुण्डीर एम0एल0सी0, श्री सुरेश त्रिपाठी एम0एल0सी0, श्री संजय सिंह,महामंत्री उ0प्र0प्रा0शि0संघ, श्री शिवशंकर पाण्डेय कोषाध्यक्ष, श्री भक्तराज राम त्रिपाठी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री राधेरमण त्रिपाठी उपाध्यक्ष, श्री देवेन्द्र श्रीवास्तव उपाध्यक्ष, श्री राजेश धर दूबे मंत्री, श्री सुधांशु मोहन जिलाध्यक्ष लखनऊ एवं श्री अक्षत पाण्डेय उपस्थित रहे।
वार्ता निम्नवत रही :-
1.शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण की प्रक्रिया माह दिसम्बर 2019 के प्रथम सप्ताह में आरम्भ कर दी जायेगी। आकांक्षी जनपदों से भी स्थानान्तरण किये जायेंगे।
2. शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा प्रदान करने पर सहमति बनी।
3. उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत शिक्षकों को चयन वेतनमान में 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर शत-प्रतिशत शिक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान दिये जाने पर सहमति बनी। जो कि अभी 20 प्रतिशत शिक्षकों को मिलता है।
4.बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में अन्य विभाग के कर्मचारी या अधिकारी के निरीक्षण पर रोक लगाने हेतु सहमति बनी।
5. परिषदीय शिक्षकों के सामूहिक बीमा की वीगित धनराशि रू0 10 लाख करने पर सहमति बनी।
6. सरकार द्वारा प्रेरणा एप पर रोक लगाने से जहाँ इन्कार किया गया तो महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल ने प्रेरणा एप से हाजिरी का विरोध करते हुए स्वीकार करने से इन्कार कर दिया गया।
7. पदोन्नति की तिथि से ग्रेड वेतन 4600 व 4800 पर न्यूनतम मूल वेतन रू0 17140/- व 18150/- देने के सम्बन्ध में प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित किये जाने पर सहमति बनी।
8. पुरानी पेंशन की बहाली, प्रत्येक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक तथा प्रत्येक कक्षा पर एक अध्यापक नियुक्त करने, प्रत्येक विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति, राज्य कर्मचारियों की भॉति उपार्जित अवकाश, सम्मिलियन पर रोक, मृत शिक्षकों के आश्रितों को पूर्व की भाँति शिक्षक के पद पर नियुक्ति जैसे विषयों पर माननीय बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा मा0 मुख्यमंत्री जी से वार्ता करके निराकरण कराने का आश्वासन दिया गया है।
उ0प्र0शिक्षक महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल ने वार्ता में स्पष्ट कर दिया कि उक्त वार्ता आश्वासन मात्र है। इस प्रकार के आश्वासन पूर्व की बैठकों में भी मिलते रहे हैं। इसलिए जब तक वार्ता के अनुक्रम में शासनादेश निर्गत नहीं किये जाते हैं तब तक उ0प्र0शिक्षक महासंघ द्वारा पूर्व में घोषित कार्यक्रम यथावत जारी रहेंगे।
Thursday, 21 November 2019
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस यूपीटेट 2017 का कोर्ट ऑर्डर। Supreme Court Order of UPTET 2017
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं यूपीटेट 2017 का आर्डर वेबसाइट पर अपलोड हो गया है ।
कोर्ट ऑर्डर में बड़े हुए अंकों के साथ Pass हुए नए अभ्यर्थियों को सरकार 2 महीने के अंदर नई शिक्षक भर्ती परीक्षा कराकर 68500 शिक्षक भर्ती में मेरिट के अनुसार नियुक्ति प्रदान करें।
सुप्रीम कोर्ट के संपूर्ण कोर्ट ऑर्डर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
68500 कोर्ट अपडेट : ३० - ३३ प्रतिशत कोर्ट केस में आज की सुनवाई का सार।
Gopal Singh
10:05
Shikshak Bharti Pariksha, Shikshamitra Samachar
No comments
21/11/2019 :
आज 68500 की सुनवाई लगभग 2:40 पर शुरु हुई ।
सीनियर अधिवक्ता श्री एस के कालिया जी ने बहस शुरु की । कालिया सर लगभग एक घण्टे से अधिक देर तक बहस मेंं 68500 शिक्षक भर्ती कें सभी बिन्दुओं को कोर्ट मेंं रखे । कई आर्डर भी प्रस्तुत किए । कालिया सर कें बहस कें बाद माथुर साहब ने अपनी बहस पूरी की ॥
केस की सुनवाई कल पुनः होगी ।
कल अपने तरफ से L P मिश्रा जी बहस करेंगें ।
अपना पक्ष कें बहस पूरी होने कें बाद विपक्ष कें तरफ से AAG कुलदीप पति त्रिपाठी जी बहस करेंगें ।
कल कें बहस कें दौरान एडवोकेट समीर कालिया एडवोकेट अवधेश शुक्ला जी कोर्ट मेंं विपक्ष कें बहस को नोट करेंगें ।
उसके बाद विपक्ष कें सभी बिन्दुओं का जवाब तैयार कर सीनियर अधिवक्ता S K कालिया जी द्वारा जवाब दिया जाएगा ।
अब दो से तीन हियरिंग कें बाद आर्डर रिजर्व हो जाएगा ।
विपक्षी क़ा जवाब मजबूती से दिया जाएगा ।
सभी याची सहयोग करे । जितने लोग मार्च 2019 कें बाद याची हेतु नाम भेजा हैं सभी का नाम याचिका मेंं जुड़ा हैं । बार बार फ़ोन कर परेशान ना करे ।
हम लोग अग्रिम तैयारी मेंं लगे हैं । आप सभी अपना सहयोग बनाए रखे ताकि अग्रिम तैयारी हो सके । कालिया जी की फ़ीस दी जा सके ।
योग्यताधारी शिक्षामित्रो को पूर्ण कालिक विधिक रुप से शिक्षक बनाने की शिक्षक नेताओं ने अपने मांग पत्र में बिन्दु तीन पर रखी मांग
लखनऊ : महासंघ के एक दिवसीय महारैली के बीच में बैठक हेतु सरकार ने किया आमंत्रित, बैठक में बेसिक शिक्षामंत्री के गैर मौजूदगी पर महासंघ के अध्यक्ष डा दिनेश चन्द्र शर्मा ने खड़े किये सवाल, पुन: 25 नवम्बर को होगी बैठक, 21 जनवरी 2020 को होगी तालाबंदी।
पुरानी पेंशन बहाली, अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण, प्रेरणा एप से हाजिरी का विरोध,प्रदेश के एक लाख 27 हजार प्रधानाध्यापकों के पदों की बहाली, एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों के सम्विलियन पर रोक. प्रत्येक कक्षा पर 01 अध्यापक तथा प्रत्येक विद्यालय पर 01 प्रधानाध्यापक की नियुक्ति राज्य कर्मचारियों की भॉति शिक्षकों को ए०सी०पी० व कैशलेस चिकित्सा तथा उपार्जित अवकाश की सुविधा आदि 16 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के लाखों बेसिक शिक्षक उ0प्र0 शिक्षक महासंघ के आह्वान पर राजधानी लखनऊ स्थित इको गार्डेन में एकत्र हुए
तथा धरना देते हुए प्रदर्शन किया।
आन्दोलनकारी शिक्षकों की संख्या को देखते हुए सरकार ने महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल को वार्ता हेतु आमंत्रित किया। वार्ता में सरकार की ओर से मा० उपमुख्यमंत्री डा० दिनेश शर्मा, सचिव माध्यमिक शिक्षा उ0प्र0शासन आर0 रमेश कुमार, महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनन्द, शिक्षा निदेशक माध्यमिक मंजू शर्मा आदि उपस्थित रहे, जबकि महासंघ की ओर से संघ के अध्यक्ष डा0 दिनेश चन्द्र शर्मा, महासंघ के संयोजक एवं विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा, उ0प्र0प्रा०शि०संघ के महामंत्री संजय सिंह, कोषाध्यक्ष शिवशंकर पाण्डेय, उपाध्यक्ष राधेरमण त्रिपाठी, एम०एल0सी0 जगवीर किशोर जैन, एम0एल0सी0 हेम सिंह पुण्डीर, एम0एल0सी0 सुरेश त्रिपाठी, एम०एल०सी० ध्रुव कुमार त्रिपाठी, उ0प्र0 मा०शि०संघ के महामंत्री इन्द्रासन सिंह आदि उपस्थित रहे।
वार्ता में माध्यमिक शिक्षा में नामांकित छात्रों की संख्या हेतु गठित टास्क फोर्स का गठन
निरस्त करने, वित्त विहीन शिक्षकों को मानदेय एवं सेवा नियमावाली जारी करने तथा तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी।
बैठक में जब बेसिक शिक्षा की समस्याओं पर चर्चा शुरू हुई तो महासंघ अध्यक्ष डा० दिनेश चन्द्र शर्मा ने बैठक में मा0 बेसिक शिक्षा मंत्री की गैर मौजूदगी को लेकर सवाल खड़ा किया, जिस पर मा० उपमुख्यमंत्री द्वारा मा० बेसिक शिक्षा मंत्री से फोन पर वार्ता करके प्रतिनिधि मण्डल
को अवगत कराया कि बेसिक शिक्षा की ओर से महानिदेशक वार्ता करेंगे। इस पर संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने असहमति व्यक्त की तथा कहा कि अधिकारी स्तर से समस्याओं का निदान नही हो सकता, इरालिए वार्ता में मा0 वेसिक शिक्षा मंत्री का उपस्थित रहना अनिवार्य है। मा० उपमुख्यमंत्री द्वारा पुनः मा0 बेसिक शिक्षा मंत्री से फोन पर वार्ता की गयी, जिस पर निर्णय हुआ कि बेसिक शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण हेतु दिनांक 25 नवम्बर 2019 को मा० बेसिक शिक्षागंत्री की अध्यक्षता में संघ के प्रतिनिधि मण्डल के साथ बैठक होगी। जिसमें शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण होगा।
संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने घोषणा करके सरकार को अवगत करा दिया कि मात्र वार्ताओं से काम नहीं चलेगा, जब तक शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण नहीं होगा, तब तक शिक्षकों का आन्दोलन जारी रहेगा। महासंघ ने निर्णय लिया कि 21 जनवरी 2020 को प्रदेश के सभी
विद्यालयों में तालाबन्दी रहेगी तथा प्रत्येक जनपद के सभी शिक्षक अपने-अपने जनपद मुख्यालयों पर एकत्र होकर सरकार की दगनकारी नीतियों का विरोध करेंगे।
Wednesday, 20 November 2019
संजीव बालियान का शिक्षामित्रों के संदेश। शिक्षामित्र के साथ सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे केस।
सभी साथियो को नमस्कार व सभी साथियो ने जो स्नेह व विश्वास मुझ पर जताया है उसके लिये आप सबका बहुत बहुत आभार।
साथियो आप सभी ने मेरा कोर्ट मे डाला गया ड्राप्ट पढा है जिसमे मैने इस पुरे भ्रष्ट सिस्टम को व उन जजो को चैलैँज किया जो राजनीति से प्रेरित होकर फैसले सुना देते है।आप किसी भी वकील को ये ड्राप्ट दिखा सकते और उनसे पूछ सकते है कि क्या वो ऐसा कर सकते है।उनका जबाब होगा नही।
कयोकि जजो की मँशा पर सवाल खडा करना कोर्ट की अवमानना होती है।जिस दायरे को तोडते हुए
मैने ये ड्राप्ट डाला। ओर सिस्टम को चैलैँज किया।
कोर्ट मे बैठे जज चाहते तो कोर्ट की अवमानना मे मुझे जेल भेज सकते थे।परन्तु वो सुनवाई को तैयार हुएँ ।क्योकि सच्चाई की ताकत मे बहुत शक्ति होती है।ओर हमेशा याद रखना कि सत्य से कभी असत्य जीत ही नही सकता।
ओर ये आप सब साथियो के स्नेह व उन मृतक शिक्षामित्र साथियो की जो पीडा थी उसने मुझे मजबूर कर दिया कि भले ही मुझे कैसी भी परिस्थितियो का सामना करना पडे मुझे इस अन्याय के खिलाफ लडना ही होगा।ताकि आने वाली पीढिया कम से कम हमे कायर तो नही कहेगी।वो ये तो नही कहेगी कि हमने शोषण के खिलाफ आवाज नही उठाई।
मैने जो पढा है जो समझा है उससे यही निष्कर्ष निकाला है कि किसी भी लडाई का परिणाम कोई दूसरा तय नही करता है उसका परिणाम हमारे कर्म तय करते है।
इसलिये इस लडाई को शुरू किया।और इसमे सभी साथियो का जो स्नेह मिला।वह भी बडा ही सुखद रहा।
इसमे सतीस बालियान मुजफ्फरनगर.सचिन क्रान्ति ,सीमासिहँ कानपुर व शिक्षामित्र संघ के उपाध्यक्ष त्रिभुवनसिहँ ने शिक्षामित्रो की मौत से सम्बधित BSA से माँगी गयी सुचना से सम्बधित पेपर उपलब्ध कराकर इस केस मे जान डालने का काम किया।'
रणजीत जी जो बलिया से है कई महत्वपूर्ण जजमैन्ट उपलब्ध कराकर इसमे अपना योगदान दिया ।रमेश व अनवर कुशीनगर ने कुछ महत्वपूर्ण पेपर उपलब्ध कराये ।रजनीश बलिया .महेश उपाध्याय भदोही शशिकाँत व पाठकजी हमीरपुर व बहुत से साथियो ने जो भरोसा जताया व काबिले तारीफ है।
मै उन सभी साथियो से भी अनुरोध करता हूँकि चाहे वो किसी भी संगठन से जुडा हो और इस केस से सम्बधित कोई महत्वपूर्ण पेपर हो वो उपलब्ध कराने की कृपा करे।क्योकि ये आप सबकी निर्णायक लडाई होगी।इसमे कोई कमी नही छोडेगैं
आप सभी जानते है कि मै शिक्षामित्र नही हूँ।और मेरा ड्राप्ट पढकर ही आपको मेरी भावना का मेरे उद्देश्य का पता चल गया होगा।
एक बार फिर से आप सभी का आभार ।
संजीव कुमार बालियान
Tuesday, 19 November 2019
69000 शिक्षक भर्ती केस की हियरिंग अपने निर्धारित समय से होगी ।
कल 69K भर्ती में 40-45 बनाम 60-65 मुद्दे की सुनवाई कॉज लिस्ट के मुताबिक अपने निर्धारित समय पर होगी। केस की हियरिंग को लेकर टीम ने अपने वकीलों से परिचर्चा की जिसमे ये बात निकलकर आई कि अपना केस चाहे जितने नम्बर पर लगा हो, चाहे जितने फ्रेश केस या एडिशनल केस हों इनसे 69K केस की सुनवाई पर कोई फर्क नही पड़ेगा।
पासिंग मॉर्क केस अपने निर्धारित समय पर या इससे पहले सुना जाएगा।* साथ ही साथ उन्होंने ये भी बताया कि केस अब अंतिम चरण की ओर है। अब कुछ लोगों को ये लगता है कि जीतेगा तो 40/45 ही। बताते चलें कि बिना संघर्ष और लड़ाई के कुछ भी सम्भव नही है। इसलिये सर्वथा जीत का भृम दिमाग मे न पालें। कोर्ट कब, क्या और कैसे कर दे इसका अंदाज़ा किसी को नही। मुकदमा पैरवी और वकालत पर चलता है। अब कोई भी वकील बिना अग्रिम भुगतान के बहस करने कोर्ट रूम नही आएगा। क्योंकि अब उनको पता है कि केस खत्म होने वाला है,केस खत्म होने के बाद वकीलों को कोई नही पूछता।
वकीलों का साफ कहना है कि पहले पेमेंट (चेक/RTGS) आये इसके बाद कोई तैयारी होगी। इसलिए केस के अंतिम पड़ाव पर आपकी निष्क्रियता टीम पर और केस पर कहीं भारी न पड़ जाए। आज वकीलों को तैयार करना है। अवशेष कम्पाइलेशन बनने हैं, जाहिर है पेमेंट भी आज ही शाम तक करना है। आशा है आप सभी साथी इस महत्वपूर्ण मुद्दे को जरूर समझेंगे।
मुख्यमंत्री जी से मिली समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र महासंघ उत्तरप्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश प्रभारी
उत्तर प्रदेश के समस्त शशंकित व आशंकित शिक्षामित्र साथियों को सादर प्रणाम
साथियों संघर्ष की इसी कड़ी में आज दिनांक 17-1-119 को समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र महासंघ उत्तरप्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश प्रभारी सम्माननिया श्रीमती सुनीता राय जी ने अपने अपने कुशल निर्देशन में गोरक्षपीठ में यशस्वी लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी से मिलीं और हमारी समस्त समस्याओं से उन्हें अवगत कराया और दया पूर्वक निदान का निवेदन किया जिसको माननीय ने गंभीरतापूर्वक सुना निराकरण करने का ठोस आश्वासन भी दिया
साथियों ये कटु सत्य है कि हमारी समस्या का स्थायी निदान सम्माननीय मुख्यमंत्री जी ही करेंगे वह भी अतिशीघ्र बाकी कोर्ट कचेहरी ऐसे ही चलती रहेगी आज हमारे संगठन की मातृ शक्ति ने जो कार्य किया है वह वास्तव में अनुकरणीय है और इसकी झलक अतिशीघ्र देखने को मिलेगी
मित्रों हमारा संगठन एवं समस्त सहयोगी पूर्ण रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ देने को युद्धस्तर पर प्रयासरत हैं और सफलता भी मात्र चंद कदम दूर है इसलिए जहाँ इतने दिन तो कुछ दिन और आप लोग धैर्य रखिये सफलता निश्चित ही कदम चूमेगी। पोस्ट पढ़ने के बाद सकारात्मक लोग ही प्रतिक्रिया दें नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है।।इन्ही शब्दों के साथ
आप सब मस्त रहें प्रफुल्लित रहें एवं भविष्य के लिए उत्साहित रहिये।।
Monday, 18 November 2019
संजीव बालियान की इस PIL में छुपी है शिक्षामित्रों की सुप्रीम कोर्ट में जीत। पढ़े सभी बिंदु यंहा।
समायोजन निरस्त होने के कारण आपने मेरी पहली पोस्ट मे बिन्दू 1से 6 तक पढे उससे आगे
7 से 11तक पढे।
(7) अनुच्छेद_142_के_तहत_प्रदत्त_शक्तियों_का_प्रयोग_व_आदेश
वकीलों द्वारा यह तर्क देना कि Dharwad तथा प्यारा सिंह केस जैसे निर्णयों से संविदा कर्मियों को भविष्य में स्थायी होने की Legitimate Expectation हो गई, अर्थात इन निर्णयों ने ऐसे कर्मचारियों के मन में भविष्य में स्थायी होने की उम्मीद जगा दी अतः इनको स्थायी कर दिया जाए, मान्य नहीं किया जा सकता है। संविदा कर्मी Legitimate Expectation की थ्योरी की दुहाई नहीं दे सकते, चूँकि नियुक्ति देते समय नियोक्ता ने किसी भी संविदा कर्मी को भविष्य में स्थायी करने का वादा नहीं किया था अतः इस तरह की मांग करना मान्य नहीं किया जा सकता है। हालाँकि नियोक्ता चाह कर भी संविधानिक नियमों के तहत नियुक्ति के समय ऐसा वादा नहीं कर सकता था।
वकीलों द्वारा यह तर्क भी दिया गया कि अनुच्छेद 14 व 16 के तहत संविदा कर्मियों के अधिकारों का हनन हुआ है क्योंकि उनसे भी वह ही कार्य कराया जाता है जो स्थायी कर्मियों द्वारा कराया जाता है जबकि स्थायी कर्मियों को संविदा कर्मियों से कहीं अधिक वेतन/मेहनताना दिया जाता है अतः उनको भी स्थायी किया जाए। हालाँकि यह स्पष्ट है कि संविदा कर्मियों को उतने वेतन/मानदेय का भुगतान किया जा रहा है जो नियुक्ति के उनकी जानकारी में था। ऐसा बिलकुल नहीं है कि निर्धारित मानदेय का भुगतान न किया जा रहा हो। संविदा कर्मी एक अलग ही श्रेणी के कर्मचारी होते हैं व उनको निर्धारित नियमों के अनुसार नियुक्त हुए स्थायी कर्मचारियों के समान नहीं कहा जा सकता है। अगर इस तर्क को समान कार्य के लिए समान वेतन की बात पर लागू कर भी लिया जाए तब भी यह नहीं कहा जा सकता कि संविदा कर्मियों के पास ऐसा कोई अधिकार आ गया जिसके द्वारा उनको नियमित सेवा में स्थायी कर दिया जाए क्योंकि स्थायी नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का पालन करते हुए ही की जा सकती है। संविदा कर्मियों को संविधानिक नियमों के अनुपालन में नौकरी पाए स्थायी कर्मियों के समान मानते हुए उनको समायोजित करना असमान लोगों को एक समान मानना होगा जो कि संविधानिक दृष्टि से मान्य नहीं किया जा सकता है। अतः अनुच्छेद 14 व 16 के तहत समायोजन की मांग को खारिज किया जाता है।
यह भी तर्क दिया जाता है कि भारत जैसे देश में जहाँ रोजगार को लेकर इतनी मारामारी है तथा एक बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में हैं अतः स्टेट द्वारा संविदा कर्मियों को स्थायी न करना संविधान के अनुच्छेद 21 की अवहेलना होगी। इस तर्क में ही इस तर्क की काट भी निहित है। भारत एक बड़ा देश है तथा एक बड़ी संख्या में लोग रोजगार व सरकारी सेवा में रोजगार हेतु समान अवसर के इंतजार में हैं। इसी कारण संविधान के मूलभूत ढांचे में अनुच्छेद 14, 16 व 309 को स्थान दिया गया है, ताकि सरकारी पदों पर नियुक्तियाँ उचित व न्यायसंगत रूप से हों तथा उन सभी को समान मौका मिले जो उस पद हेतु योग्यता रखते हों। अतः अनुच्छेद 21 के तहत एक ख़ास वर्ग के लोगों के लिए समस्त योग्य लोगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह भी तर्क दिया जा रहा है कि इतने कम मानदेय पर कार्य करा कर सरकार ने जबरदस्ती मजदूरी कराई है जिससे अनुच्छेद 23 की अवहेलना हुई है। इस तर्क को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि संविदा कर्मियों ने स्वेच्छा से नियुक्ति हेतु हामी भरी थी तथा नियुक्ति की शर्तों से पूर्ण रूप से वाकिफ थे। परिस्थिति विशेष में न्याय करने के नाम पर हम केवल कोर्ट में न्याय मांगने आए लोगों को वरीयता नहीं दे सकते, हमें उन अनेकों लोगों के अधिकारों को भी ध्यान में रखना है जो सरकारी सेवा में समान अवसर की प्रतीक्षा में हैं। अतः अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए तर्कों को ओवर रूल किया जाता है।
सामान्यतः जब अस्थायी कर्मचारी कोर्ट में याची बन कर आते हैं तब उनकी मांग होती है कि कोर्ट सम्बंधित नियोक्ता को परमादेश (Mandamus) जारी करे कि उक्त कर्मचारियों को स्थायी सेवा में समायोजित कर लिया जाए। अब यह प्रश्न उठता है कि क्या इस बाबत परमादेश जारी किया जा सकता है? इस प्रश्न के उत्तर हेतु Dr. Rai Shivendra Bahadur Vs. The Governing Body of the Nalanda College केस में सुप्रीम कोर्ट की संविधानिक पीठ द्वारा दिए गए निर्णय पर ध्यान देना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा था, "परमादेश द्वारा किसी अधिकारी/सरकार को कुछ करने के लिए बाध्य करने से पूर्व यह निर्धारित करना होता है कि वास्तव में कोई कानून उस अधिकारी को वह कार्य करने को कानूनी रूप से बाध्य करता है तथा साथ ही साथ परमादेश की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को भी सिद्ध करना होता है कि यह कार्य कराने हेतु उसके पास कानूनी अधिकार हैं।" उपरोक्त निर्णय इस परिस्थिति में भी कार्य करेगा, जैसा कि साफ़ है कि अस्थायी कर्मियों के पास कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है जिसके तहत वह स्वयं को स्थायी करने की मांग कर सकें अतः उनके पक्ष में इस बाबत कोई परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है/
यहाँ यह साफ़ कर देना भी उचित है कि ऐसे अस्थायी कर्मचारी जिनकी नियुक्ति केवल अनियमित (Irregular) है तथा जो 10 वर्ष से अधिक समय तक बिना मुकदमे बाजी के कार्यरत रहे हैं, की नियुक्ति को नियमित किया जा सकता है। अतः कोर्ट यह आदेश देती है कि ऐसे अनियमित कर्मचारियों को जिन्होंने बिना कोर्ट के दखल के 10 वर्ष से अधिक कार्य किया हो तथा जिनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों पर हुई हो, को आदेश जारी होने के 6 माह के भीतर केवल एक बार, नियमित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं। तथा ऐसे स्वीकृत पद जो अभी भी रिक्त हों को नियमित प्रक्रिया द्वारा भरा जाए। (#पैरा_44)
यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जिन निर्णयों में इस केस के निर्णय में बताए गए दिशानिर्देशों से हटकर स्थायी करने अथवा समायोजन करने के आदेश दिए गए हैं, उनको अब से नजीर के रूप में प्रयोग नहीं किया जाए (#पैरा_45) वाणिज्य कर विभाग से सम्बंधित मुद्दों में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिहाड़ी पर कार्यरत कर्मचारियों को अन्य स्थायी कर्मचारी जो अपने निर्धारित संवर्ग में कार्यरत हैं, के समान वेतन व भत्त्ते संविदा पर नियुक्ति के प्रथम दिन से दिए जाएं। साफ़ जाहिर है कि हाई कोर्ट ने उचित निर्णय नहीं दिया। राज्य पर इस तरह का भार डालना हाई कोर्ट के अधिकार में नहीं था खासकर तब जब उनके समक्ष मुख्य प्रश्न यह था कि क्या ऐसे दिहाड़ी पर कार्यरत कर्मचारियों को समान कार्य हेतु समान वेतन दिया जाए जबकि उनको सरकार द्वारा संविदाकर्मी नियुक्त न करने के आदेश के बाद भी नियुक्त किया गया था। हाई कोर्ट अधिक से अधिक यह निर्णय दे सकती थी कि उक्त संविदा कर्मियों को आदेश की तिथि से समान कार्य हेतु स्थायी कर्मियों के समान वेतन दिया जाए। अतः स हिस्से को सुधारते हुए यह निर्णय दिया जाता है कि ऐसे दिहाड़ी कर्मचारियों को उस कैडर की स्थायी सेवा में नियुक्त कर्मचारियों के सबसे निचले ग्रेड के अनुसार वेतन हाई कोर्ट के आदेश की तिथि से दिया जाए। तथा जैसा कि हमने निर्णय दिया है कि कोर्ट किसी भी प्रकार के समायोजन का आदेश नहीं दे सकती हैं अतः हाई कोर्ट के आदेश के उस हिस्से जिसमें उन्होंने वाणिज्य कर विभाग के संविदा कर्मियों को स्थायी करने का आदेश दिया है, को रद्द किया जाता है।
यदि स्वीकृत पद रिक्त हैं तब सरकार उन पदों को नियमित चयन प्रक्रिया द्वारा जल्द से जल्द भरने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी, नियमित चयन प्रक्रिया में वाणिज्य कर विभाग, के संविदा कर्मियों (सिविल अपील 3595-3612 के प्रतिवादी) को भी भाग लेने का मौका मिलेगा। उनको अधिकतम आयु सीमा में छूट तथा विभाग में इतने लम्बे समय तक कार्य करने के कारण, कुछ भारांक दिया जाएगा। इस परिस्थिति में पूर्ण न्याय करने हेतु अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इतना ही प्रयोग किया जा सकता है। (#पैरा_46)
8 आदेश_का_सार
★ इस आदेश के द्वारा देश समस्त संविदा कर्मियों को कवर किया गया है।
★ किसी भी संविदा कर्मी को नियमित केवल इस ही केस में आए आदेश के अनुसार किया जा सकता है तथा किसी भी अन्य आदेश को आधार नहीं बनाया जा सकता है। (पैरा 45)
★ संविधान का अनुच्छेद 309 सरकार को सरकारी पदों पर नियुक्ति हेतु नियम बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए रूल्स में सरकार सेवा शर्तें, चयन का आधार/तरीका आदि निर्धारित कर सकती है। सरकार द्वारा यदि उपरोक्त नियम बनाए गए हैं तब सरकारी पदों पर चयन केवल इन ही नियमों के अनुसार ही हो सकता है।
★ किसी भी सरकारी पद पर नियुक्ति केवल समस्त योग्य लोगों से विज्ञापन के माध्यम से आवेदन मांग कर व एक उचित चयन समिति द्वारा किसी उचित चयन प्रक्रिया जिससे आवेदन करने वालों की मेरिट की तुलना उचित रूप से हो सके, द्वारा ही की जा सकती है।
★ यदि संसद भी चाहें तब भी संविधान के मूलभूत ढाँचे अर्थात अनुच्छेद 14 व 16 के तहत प्रदत्त समानता के अधिकारों से खिलवाड़ नहीं कर सकती है। अर्थात संविधान में संशोधन लाकर संविधान के मूलभूत ढांचे को बदला नहीं जा सकता है, ऐसे संशोधन संविधान के मूलभूत ढांचे से अल्ट्रा वायर्स घोषित हो जाएंगे।
★ सरकारी सेवा में समानता के अधिकार का पालन करना आवश्यक है तथा हमारा संविधान क़ानून के राज की बात करता है अतः यह कोर्ट किसी चयन प्रक्रिया में अनुच्छेद 14 व 16 के उल्लंघन को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
★ सरकारी सेवा में समानता के अधिकार का पालन करना आवश्यक है तथा हमारा संविधान क़ानून के राज की बात करता है अतः यह कोर्ट किसी चयन प्रक्रिया में अनुच्छेद 14 व 16 के उल्लंघन को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
★ नियमितीकरण (Regularization) तथा स्थायी करने (Conferring permanence) में अंतर होता है। नियमित करने व स्थायी करने में बहुत फर्क है, इन दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
★ नियमितीकरण (Regularization) का अर्थ किसी ऐसी प्रक्रिया सम्बन्धी कमी को दूर करना है जो चयन करते समय चयन प्रक्रिया में रह गई हो।
★ जब नियुक्ति एक्ट/रूल्स, अथवा न्यूनतम योग्यता को दरकिनार करते हुए होती है तब ऐसी नियुक्ति को अनियमित (Irregular) नियुक्ति नहीं अपितु गैर कानूनी (Illegal) नियुक्ति कहते हैं जिसको नियमित नहीं किया जा सकता है।
★ केवल अनियमित नियुक्तियों को नियमित किया जा सकता है, गैर कानूनी नियुक्ति को नियमित करने का प्रश्न ही नहीं होता।
★ समान कार्य हेतु समान वेतन देना अलग बात है परन्तु समस्त संविदा कर्मियों या अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना अलग बात है। सरकारी पदों पर स्थायी नियुक्ति केवल संविधान के नियमों के तहत ही की जा सकती है।
★ जब नियुक्ति संविदा पर तथा पूर्व निर्धारित मानदेय पर होती है तब संविदा के अंत में नियुक्ति स्वतः समाप्त हो जाती है तथा ऐसे संविदा कर्मी के पास सेवा में बने रहने अथवा नियमित किये जाने का कोई अधिकार नहीं होता है।
★ केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति किसी पद पर कई वर्ष कार्यरत रहा हो तो उसको उस पद पर नियमित होने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
★ केवल संवेदना के आधार पर अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
★ नियमितीकरण को नियुक्ति करने का एक तरीका नहीं माना जा सकता है, न ही यह नियुक्ति का एक तरीका हो सकता है।
★ नौकरी चुनते समय सम्बंधित व्यक्ति उस नौकरी की शर्तों को जानता है व समझता है। यह तथ्य कि कोई व्यक्ति किसी पद पर वर्षों से कार्य कर रहा है अतः उसको निकालना न्यायोचित नहीं होगा, मान्य नहीं किया जा सकता है।
★ संविदा कर्मी Legitimate Expectation की थ्योरी की दुहाई नहीं दे सकते, चूँकि नियुक्ति देते समय नियोक्ता ने किसी भी संविदा कर्मी को भविष्य में स्थायी करने का वादा नहीं किया था अतः इस तरह की मांग करना मान्य नहीं किया जा सकता है। हालाँकि नियोक्ता चाह कर भी संविधानिक नियमों के तहत नियुक्ति के समय ऐसा वादा नहीं कर सकता था।
★ संविदा कर्मियों को संविधानिक नियमों के अनुपालन में नौकरी पाए स्थायी कर्मियों के समान मानते हुए उनको समायोजित करना असमान लोगों को एक समान मानना होगा जो कि संविधानिक दृष्टि से मान्य नहीं किया जा सकता है।
★ सुप्रीम कोर्ट की तरह हाई कोर्ट के पास अनुच्छेद 142 जैसी शक्ति नहीं होती है अतः केवल इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी केस में अनुच्छेद 142 का उपयोग करते हुए कोई आदेश जारी किया हो, हाई कोर्ट भी उसको नजीर बनाते हुए वैसा ही आदेश जारी नहीं कर सकती हैं।
★ नजीर केवल उन ही आदेशों को बनाया जा सकता है जिसमें किसी कानूनी प्रश्न को हल किया गया हो।
★ अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय केवल क़ानून के दायरे में रह कर किया जा सकता है, हालाँकि राहत को किस प्रकार देना है यह कोर्ट पर निर्भर करता है परन्तु ऐसी कोई भी राहत नहीं दी जा सकती जिससे किसी गैर कानूनी कार्य को बढ़ावा मिले।
★ यदि पूर्व में किसी केस विशेष में सुप्रीम कोर्ट ने किसी संविदा कर्मी को स्थायी किया है तब उस केस के निर्णय के आधार पर कोई अन्य संविदा कर्मी हाई कोर्ट में स्वयं को भी नियमित करने की मांग नहीं कर सकता है।
★ परिस्थिति विशेष में पूर्ण न्याय करने के नाम पर हम केवल कोर्ट में न्याय मांगने आए लोगों को ही ध्यान में नहीं रख सकते, हमें उन अनेकों लोगों के अधिकारों को भी ध्यान में रखना है जो सरकारी सेवा में समान अवसर की प्रतीक्षा में हैं।
★ परमादेश द्वारा किसी अधिकारी/सरकार को कुछ करने के लिए बाध्य करने से पूर्व यह निर्धारित करना होता है कि वास्तव में कोई कानून उस अधिकारी को वह कार्य करने को कानूनी रूप से बाध्य करता है तथा साथ ही साथ परमादेश की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को भी सिद्ध करना होता है कि यह कार्य कराने हेतु उसके पास कानूनी अधिकार हैं।
★ अस्थायी कर्मियों के पास कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है जिसके तहत वह स्वयं को स्थायी करने की मांग कर सकें अतः उनके पक्ष में इस बाबत कोई परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है।
★ ऐसे अस्थायी कर्मचारी जिनकी नियुक्ति केवल अनियमित (Irregular) है तथा जो 10 वर्ष से अधिक समय तक बिना मुकदमे बाजी के कार्यरत रहे हैं, की नियुक्ति का नियमितीकरण (Regularization) किया जा सकता है। अतः कोर्ट यह आदेश देती है कि ऐसे अनियमित कर्मचारियों को जिन्होंने बिना कोर्ट के दखल के 10 वर्ष से अधिक कार्य किया हो तथा जिनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों पर हुई हो, को आदेश जारी होने के 6 माह के भीतर केवल एक बार, नियमित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं।
★ यदि स्वीकृत पद रिक्त हैं तब सरकार उन पदों को नियमित चयन प्रक्रिया द्वारा जल्द से जल्द भरने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी, नियमित चयन प्रक्रिया में वाणिज्य कर विभाग, के संविदा कर्मियों (सिविल अपील 3595-3612 के प्रतिवादी) को भी भाग लेने का मौका मिलेगा। उनको अधिकतम आयु सीमा में छूट तथा विभाग में इतने लम्बे समय तक कार्य करने के कारण, कुछ भारांक दिया जाएगा। इस परिस्थिति में पूर्ण न्याय करने हेतु अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस हद तक ही प्रयोग किया जा सकता है।
9 आदेश_का_महा_
★★ कोर्ट केवल नियमितीकरण का आदेश दे सकती हैं। स्थायी करने का नहीं।
★★ नियुक्ति के समय प्रक्रिया सम्बन्धी कमी को दूर करना नियमितीकरण (Regularization) कहलाता है।
★★ एक्ट/रूल्स, अथवा न्यूनतम योग्यता को दरकिनार करते हुए हुई नियुक्ति गैर कानूनी (Illegal) नियुक्ति कहते हैं।
★★ अनियमित नियुक्ति को नियमित किया जा सकता है। गैर कानूनी नियुक्ति को नहीं।
★★ सरकारी पदों पर नियुक्ति अनुच्छेद 14, 16 व 309 के तहत केवल खुली भर्ती द्वारा हो सकती हैं।
★★ अनुच्छेद 14, 16 व 309 संविधान के मूलभूत ढाँचे का हिस्सा हैं।
★★ संसद संविधानिक संशोधन लाकर भी संविधान के मूलभूत ढांचे को बदल नहीं सकती।
🔟 शिक्षा_मित्र_केस_से_लिंक
★ शिक्षा मित्र संविदा कर्मी मात्र हैं।
★ नियुक्ति के समय उनको अपनी नियुक्ति की शर्तों का ज्ञान था।
★ शिक्षा मित्रों की प्रथम नियुक्ति संविधानिक नियमों अर्थात अनुच्छेद 14, 16 व 309 के अनुसार नहीं हुई थी।
★ शिक्षा मित्रों का चयन सर्विस रूल से नहीं हुआ था।
★ नियुक्ति के समय शिक्षा मित्र सर्विस रूल में विहित न्यूनतम योग्यता (बीटीसी + स्नातक) नहीं रखते थे।
★ शिक्षा मित्रों की नियुक्ति के समय आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हुआ था। जिस जाति का ग्राम प्रधान था उस ही जाति का शिक्षा मित्र नियुक्त कर लेना आरक्षण नियमों का पालन नहीं कहा जा सकता है।
★ शिक्षा मित्रों की प्रथम नियुक्ति अनियमित नहीं अपितु गैर कानूनी थी।
★ गैर कानूनी नियुक्ति को नियमित नहीं किया जा सकता है।
11 कुछ शिक्षा मित्र नेता कहते हैं कि समायोजन बाधा नहीं है बल्कि टीईटी बाधा है। मैं कहता हूँ कि टीईटी तो आप लोग हो सकता है कैसे भी पास कर लें, वास्तविक बाधा समायोजन है। आपका समायोजन नहीं हो सकता है। टीईटी पास कर के बीटीसी प्रशिक्षितों से प्रतिस्पर्धा कर के ही खुली भर्ती के माध्यम से ही आ सकते हो।
#ऐसा भी नही है कि इस समस्या का समाधान है ओर शिक्षामित्र नियमित भी हो सकता है दरअसल इसको पढने के बाद आपको ये बहुत बडी समस्या दिखाई देगी।परन्तु इसका समाधान उतना बडा नही है।
अगली पोस्ट मे इसका समाधान भी लिखूगाँ ।मेरी पोस्ट पढते रहये।और चिन्ता तो बिल्कुल ही ना करे।मस्त रहे।
संजीव कुमार बालियान
8433029010
Saturday, 16 November 2019
भोला शुक्ला की याचिका को लेकर ये भी जानना जरूरी है शिक्षामित्रों के लिए। कुछ छुपा क्या अंधेरे में?
सभी शिक्षामित्रों को सूचित किया जाता है कि वर्तमान समय मे भोला शुक्ला की 124 वाली रिट मे याची बनने हेतु हो हल्ला मचा हुवा है।
आप सभी सावधान व सतर्क रहें क्योंकि भोला शुक्ला की रिट मे शासनादेश को चैलेन्ज किया गया है और यदि शिक्षामित्र पद मे वापसी का शासनादेश निरस्त करके सुप्रीम कोर्ट पैराटीचर का दर्जा देती है तो इससे सभी शिक्षामित्र लाभाम्बित होंगें।और यदि कदाचित आवश्यकता पड़ी तो आपका संगठन अपने स्तर से एवं अपने संसाधन से सुप्रीमकोर्ट जाकर आदेश को सभी के हेतु कवर्ड कराकर लायेगा।
बस आप लोग शान्ती से सुखद फैसले का इन्तजार करें व व्यर्थ के याची हो हल्ले से दूर रहें। क्योंकि याची के चक्कर मे मुकदमा कमजोर हो सकता है और शिक्षामित्र संहारक/चन्दाचोर तो यही चाहते हैं जबकि यह अन्तिम लड़ाई सही व सटीक ट्रेक पर चल रही है।
हम सभी भोला शुक्ला व उनकी टीम से लगातार सम्पर्क मे हैं यदि न्यायालय ने न्याय किया तो आपसे वादा है आप सभी को वही लाभ मिलेगा जो फैसले मे होगा ।
124 की याचिका पर कल से ही बडे बडे सूरमाओं ने अपनी ज्ञान की गंगा उडेल दी है कुछ लोग ऐसे ज्ञानी है जो कल तक याची बनाकर सम्मान दिला रहे थे और कुछ नये आज पैदा हो गये जो पूरी काऊंटर की कापी देखे ही ज्ञान दे रहे है *काऊंटर कुल 16 पेजों में दाखिल किया है सरकार ने और महाज्ञानी लोग सिर्फ और सिर्फ 9 पेज का रूपांतरण करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं* भयभीत कर रहे है यह एक विशेष राजनीति के तहत हो रहा है जो दिग भ्रमित कर रहे है कारण शिक्षा मित्रों का भला न हो जाये यदि हो गया तो दुकानदारी बंद हो जायेगी आप सब गौर करना ऐसा विरोध कौन और किस कारण कर रहा है समझ में आ जायेगा इसे आपको स्वयं मूल्यांकन करना है आप सब सबसे पहले पूर्ण काऊटर की प्रति मांगे वह भी वर्जीनल आपको स्वतः पता चल जायेगा कि किस तरह तथ्यों को तोड़ मडोर कर भ्रमित किया जा रहा है।
आप सब निश्चित रहे आपका दिन बहुरने वाला है पूरे प्रदेश में आपकी काबिलियत सामने आने वाली है ऐसे लोगों से सावधान रहे जो अनायास ही अपनी सोंच से आपको गुमराह कर रहे हैं।
Friday, 15 November 2019
1.24 शिक्षामित्र केस में सरकार के द्वारा लगाए काउंटर में फिर से वही बात। भोला शुक्ला का न दे साथ।
योगी सरकार का 124 प्रकरण पर जो हलफनामा लगाया है उसमें रोना यह है कि हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में इन्हें अध्यापक से शिक्षामित्र के पद पर पदस्थ कर दिया और 3500/- से बढ़ाकर 10,000/- इनका मानदेय कर दिया है, इसलिए इनकी याचिका पोषणीय नहीं है, अतः इसे खारिज कर दिया जाए?
यह शत प्रतिशत सत्य है कि यह याचिका केवल छ: पीड़ित शिक्षामित्रो ने मिलकर याचिका डाली है और पैसा 124000/- पीड़ित शिक्षामित्रो के जेब से निकलवाया जा रहा है, यदि वास्तव में भोला प्रसाद शुक्ला व अन्य की टीम ईमानदारी से काम करती हैं आज कोई वरिष्ठ वकील खड़ा करवा रिज्वांइडर लगाने के बाद बहस करता लेकिन स्वयं 04 सप्ताह का समय मांग कर मुकदमा अब 2020 में दो- तीन सुनवाई के बाद अन्तिम फैसला आयेगा, फैसला चाहे जो भी आये?
1.24 शिक्षामित्र केस की आज की अपडेट : 15 नवंबर 2019
आप सभी को ज्ञात था कि आज सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के 124000 शिक्षामित्रों को अपग्रेड वेतनमान दिलाने हेतु एक केस चल रहा है जिसे भोला शुक्ला देख रहे हैं। आज 15 नवंबर 2019 को इस केस की अहम सुनवाई थी।
अहम इसलिए क्योंकि आज कोर्ट में सरकार, MHRD मंत्रालय और NCTE द्वारा अपना-अपना काउंटर दाखिल किया जा चुका था। आज की सुनवाई में इन काउंटर का कोर्ट संज्ञान लेता और उसके आधार पर आगे की कोर्ट में केस की मजबूती पर थोड़ा प्रकाश पड़ता। लेकिन आज दुर्भाग्यवश फिर से शिक्षामित्रों को निराशा हाथ लगी और अब इस कोर्ट केस की अगली डेट 16 दिसंबर कर दी गई है। एक महीने बाद अब इस केस की सुनवाई होगी।
शिक्षामित्रों के इस केस में इतनी लंबी-लंबी तारीखों का पढ़ना शिक्षामित्रों को और भी हताश कर रहा है। जहां एक तरफ शिक्षामित्र अपनी आर्थिक स्थितियों से लड़ते हुए जीवन यापन कर रहा है, वही आशा की किरणों से देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय कि दहलीज़ से न्याय की उम्मीद कर रहा है। लेकिन फिर से एक माह बाद इस केस की सुनवाई होगी और तब कहीं जाकर इस केस की मजबूती पर कुछ प्रकाश सामने आएगा। तब तक शिक्षामित्रों को फिर से धैर्य से काम करना होगा।
इस केस को लेकर शिक्षामित्रों के बीच याची बनने और न बनने जैसी स्थिति आई हुई है। जिसमें एक संगठन शिक्षामित्रों को याची बनने के लिए तो दूसरा संगठन न बनने के लिए कह रहा है। शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस केस में चंदा देने से रोकने के लिए या फिर गलत तरीके से पैसे लेने वाले लोगों से सावधान करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अब अगली 16 दिसंबर को ही इस केस की सुनवाई होगी। तभी स्थिति साफ होगी कि आखिरकार शिक्षामित्रों के इस केस में शिक्षामित्रों को राहत मिलने की कितनी उम्मीद है और उनको याची बनना चाहिए या नहीं। आज के कोर्ट केस में विस्तार से जानने के लिए अभी कोर्ट ऑर्डर को अपलोड होने का इंतजार करना होगा।
ऑर्डर अपलोड होने के बाद आज के केस की विस्तृत जानकारी आपको इस वेबसाइट के माध्यम से दे दी जाएगी। आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक दोस्तों के साथ शेयर करें।
Wednesday, 13 November 2019
अब सूचना का अधिकार के दायरे में आयेगा, CJI दफ्तर Supreme Court Order for RTI
जैसा कि आज दिनांक - 13 नवंबर को शीर्ष अदालत में मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई जी की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, उक्त आदेश के बाद अब कोई भी पीड़ित किसी भी असंतुष्ट फैसला पर आरटीआई के द्वारा वांछित जानकारी शीर्ष अदालत में भी मुख्य न्यायाधीश के आफिस से भी ले सकेगें।
![]() |
CJI order for RTI |
Tuesday, 12 November 2019
Monday, 11 November 2019
69000 शिक्षक भर्ती केस की 13 नवंबर को मुश्किल ही होगी सुनवाई।
13 नवम्बर को सुनवाई होना मुश्किल-
69K शिक्षक भर्ती की सुनवाई 13 नवम्बर को मुश्किल है। 13 नवम्बर को कोर्ट न0- 1 में एडिशनल केस लिस्टेड नही हुए है। 13 नवम्बर को कोर्ट नम्बर-1 में सिर्फ डेली लिस्ट के केस सुने जाएंगे। 13 नवम्बर को हमारे अधिवक्ताओं द्वारा केस को मेंशन करवाने का प्रयास किया जाएगा जिससे इस मामले का डिवीजन बेंच लखनऊ से जल्द निस्तारण हो सके। तब तक आप सभी लोग अपना अमूल्य सहयोग प्रेषण जारी रखें ताकि त्वरित स्थिति को नियंत्रित रखा जा सके।
®टीम रिज़वान अंसारी।।
Sunday, 10 November 2019
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले में आये निर्णय पर किसने क्या कहा ? जानिए यहाँ। Supreme Court Ayodhya Judgement

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

अमित शाह,
गृहमंत्री

योगी आदित्यनाथ,
मुख्यमंत्री यूपी

राहुल गांधी,
नेता कांग्रेस

महंत नृत्य गोपाल दास
अध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि न्यास

विवादित स्थल पर अखाड़े का दावा खारिज होने का कोई अफसोस नहीं है क्योंकि वह भी रामलला का ही पक्ष ले रहा था। न्यायालय ने रामलला के पक्ष को मजबूत माना है। इससे निर्मोही अखाड़े का मकसद पूरा हुआ।
महंत धर्मदास
निर्मोही अखाड़ा

सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है मैं उससे खुश हूं। मैं न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं। यह मसला बहुत अहम था जो आज खत्म हो गया। अब यह जिम्मेवारी सरकार की है कि हमें जमीन कहां देती है।
इकबाल अंसारी
बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार
Tuesday, 5 November 2019
69000 Shikshak Bharti Court Update : 6 November 2019
आज की सुनवाई रोस्टर चेंज होने की वजह से नहीं हो पाई
जस्टिस पंकज जायसवाल जस्टिस आलोक माथुर जी के सामने जैसे ही 69000 शिक्षक भर्ती प्रकरण आया तुरंत जस्टिस पंकज जायसवाल जी ने वकीलों को अवगत कराया या तो आप पुनः फिर से अरगुमेंट करें या तो एक एप्लीकेशन लगाकर 13 नवंबर से जस्टिस इरशाद अली जी की बेंच में कंटिन्यू करें या एक कोर्ट की प्रक्रिया का अंग है इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता इसीलिए सभी वकीलों द्वारा 13 नवंबर से कंटिन्यू होने वाली सुनवाई पर सहमति जताई गई
Team सर्वेश
🚩 जय श्रीराम 🚩
जस्टिस पंकज जायसवाल जस्टिस आलोक माथुर जी के सामने जैसे ही 69000 शिक्षक भर्ती प्रकरण आया तुरंत जस्टिस पंकज जायसवाल जी ने वकीलों को अवगत कराया या तो आप पुनः फिर से अरगुमेंट करें या तो एक एप्लीकेशन लगाकर 13 नवंबर से जस्टिस इरशाद अली जी की बेंच में कंटिन्यू करें या एक कोर्ट की प्रक्रिया का अंग है इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता इसीलिए सभी वकीलों द्वारा 13 नवंबर से कंटिन्यू होने वाली सुनवाई पर सहमति जताई गई
Team सर्वेश
🚩 जय श्रीराम 🚩
*📌कोर्ट रूम:आथेंटिक*
आज 69K पासिंग मॉर्क केस शुरुवात में ही 02 नम्बर पर लिस्टेड था। पक्षकार और विपक्ष के अधिवक्ता कोर्ट रूम में मौजूद थे। पक्ष के अधिवक्ताओं ने कोर्ट के अवगत कराया कि *पासिंग मॉर्क केस पार्ट-हर्ड केस है। जिसकी आधी प्रोसीडिंग लगभग conclude हो चुकी है। इसलिए अब इस मामले के लिए अलग से "पार्ट-हर्ड बेंच" गठित की जानी चाहिए। कोर्ट को ये बात समझ मे आ गई और उसने सामूहिक प्रे को एक्सेप्ट करते हुए 13 नवम्बर को "पार्ट-हर्ड बेंच" गठन के निर्देश दिए।
जिसमे मा0 जस्टिस पंकज जायसवाल और मा0 जस्टिस इरशाद अली होंगे।* ये स्पेशल बेंच सिर्फ 69k पासिंग मॉर्क केस के लिए ही बनाई गई है। कोर्ट ने कहा कि इस केस को अब ज्यादा समय तक पेंडिंग नही रखा जाएगा। *केस अगले सप्ताह फाइनल हो जाएगा। इंतज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं।*
*®टीम रिज़वान अंसारी।।*